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  • Create Date October 7, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

श्रीविनायक स्तोत्र भगवान गणेश की स्तुति करने वाला एक संस्कृत स्तोत्र है। यह स्तोत्र 10 श्लोकों से बना है, जो भगवान गणेश की विभिन्न रूपों और शक्तियों की प्रशंसा करते हैं।

श्रीविनायक स्तोत्र को 12वीं शताब्दी के कवि और संत, वदिराज थेर द्वारा लिखा गया था। वदिराज थेर, रामानुजाचार्य के शिष्य थे, जो एक प्रमुख वैष्णव संत थे। श्रीविनायक स्तोत्र को रामानुज संप्रदाय में एक महत्वपूर्ण स्तोत्र माना जाता है।

श्रीविनायक स्तोत्र के कुछ लाभों में शामिल हैं:

  • भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करना
  • सभी बाधाओं को दूर करना
  • सभी पापों को दूर करना
  • सभी प्रकार के धन और समृद्धि प्राप्त करना
  • सभी शत्रुओं को पराजित करना
  • आध्यात्मिक प्रगति करना
  • सफलता और खुशी प्राप्त करना

श्रीविनायक स्तोत्र को रोजाना पढ़ने या सुनने से कहा जाता है, विशेष रूप से कठिन समय में। यह स्तोत्र लोगों को आध्यात्मिक प्रगति करने, अपने जीवन में बाधाओं को दूर करने और सफलता और खुशी प्राप्त करने में मदद करने के लिए कहा जाता है।

श्रीविनायक स्तोत्र का एक उदाहरण:

श्लोक 1

ओंकारेश्वराय विद्महे महागणाधीश्वराय धीमहि तन्नो गणेश प्रचोदयात्

अनुवाद

मैं ओंकारेश्वर को जानता हूं, मैं महागणों के स्वामी को ध्यान करता हूं, हे गणेश, मुझे प्रेरित करें।

श्लोक 2

गणेशं विनायकं च मोदकप्रियं सुन्दरम् लम्बोदरं गजाननं सर्वविघ्नविनाशनम्

अनुवाद

गणेश को नमस्कार, विनायक को नमस्कार, जो मोदक के प्रेमी और सुंदर हैं, लंबोदर और गजानन, सभी बाधाओं को दूर करने वाले।

श्रीविनायक स्तोत्र एक शक्तिशाली साधन है जो लोगों को अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद कर सकता है। यदि आप इस स्तोत्र का नियमित रूप से उपयोग करते हैं, तो आप आशा कर सकते हैं कि आप अपने जीवन में सफलता, खुशी और कल्याण प्राप्त करेंगे।

श्रीविनायक स्तोत्र का महत्व

श्रीविनायक स्तोत्र को भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने और अपने जीवन में सफलता और खुशी प्राप्त करने के लिए एक शक्तिशाली साधन माना जाता है। स्तोत्र में भगवान गणेश की सभी शक्तियों और गुणों की प्रशंसा की गई है, और यह भक्तों से उन्हें अपने जीवन में मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करने के लिए प्रार्थना करता है।

श्रीविनायक स्तोत्र को रोजाना पढ़ने या सुनने से कहा जाता है, विशेष रूप से कठिन समय में। यह स्तोत्र लोगों को आध्यात्मिक प्रगति करने, अपने जीवन में बाधाओं को दूर करने और सफलता और खुशी प्राप्त करने में मदद करने के लिए कहा जाता है।

श्रीविनायक स्तोत्र का पाठ

ओंकारेश्वराय विद्महे महागणाधीश्वराय धीमहि तन्नो गणेश प्रचोदयात्

गणेशं विनायकं च मोदकप्रियं सुन्दरम् लम्बोदरं गजाननं सर्वविघ्नविनाशनम्

अर्थः

मैं ओंकारेश्वर को जानता हूं, मैं महागणों के स्वामी को ध्यान करता हूं, हे गणेश, मुझे प्रेरित करें।

गणेश को नमस्कार, विनायक को नमस्कार, जो मोदक के प्रेमी और सुंदर हैं, लंबोदर और गजानन, सभी बाधाओं को दूर करने वाले।

विघ्नेशवराय नमः

एकदन्ताय नमः

वक्रतुंडाय नमः

गजाननाय नमः

लम्बोदराय नमः

विघ्नेशवराय नमः

अर्थः

विघ्नों के स्वामी को नमस्कार।

एकदंत को नमस्कार।

वक्रतुंड को नमस्कार।


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