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- Create Date October 6, 2023
- Last Updated July 29, 2024
नवदुर्गास्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो हिन्दू देवी दुर्गा की स्तुति में लिखा गया है। यह स्तोत्र नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की स्तुति करता है। नवदुर्गास्तोत्रम् में 108 श्लोक हैं, जिनमें देवी दुर्गा की शक्तियों, गुणों और उनके कार्यों का वर्णन किया गया है।
नवदुर्गास्तोत्रम् के कुछ प्रमुख पहलू इस प्रकार हैं:
- स्तोत्र की शुरुआत में, भक्त देवी दुर्गा की छवि को अपने मन में लाते हैं। इससे उन्हें देवी के साथ एक आध्यात्मिक संबंध स्थापित करने में मदद मिलती है।
- स्तोत्र के पहले दस श्लोकों में, देवी दुर्गा के प्रथम रूप, शैलपुत्री की स्तुति की गई है। उन्हें "शैलपुत्री" (पर्वतों की पुत्री) कहा जाता है।
- स्तोत्र के अगले दस श्लोकों में, देवी दुर्गा के दूसरे रूप, ब्रह्मचारिणी की स्तुति की गई है। उन्हें "ब्रह्मचारी" (ब्रह्मचारी) कहा जाता है।
- स्तोत्र के तीसरे भाग में, देवी दुर्गा के शेष सात रूपों की स्तुति की गई है। इन रूपों में हैं:
- चंद्रघंटा
- कूष्माण्डा
- स्कंदमाता
- कात्यायनी
- कालरात्रि
- महागौरी
- सिद्धिदात्री
- स्तोत्र के अंत में, भक्त देवी दुर्गा से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें जीवन में सभी बाधाओं को दूर करने और मोक्ष प्राप्त करने में मदद करें।
नवदुर्गास्तोत्रम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जो भक्तों को देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और उनके आशीर्वाद से जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
नवदुर्गास्तोत्रम् के कुछ महत्वपूर्ण पहलू निम्नलिखित हैं:
- देवी दुर्गा को सृष्टि की रचना करने वाली, सभी प्राणियों की रक्षा करने वाली, सभी दुष्ट शक्तियों का नाश करने वाली और भक्तों की रक्षा करने वाली के रूप में वर्णित किया गया है।
- देवी दुर्गा को सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी के रूप में भी वर्णित किया गया है।
- देवी दुर्गा को ज्ञान और बुद्धि की देवी भी कहा गया है।
नवदुर्गास्तोत्रम् को नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा के दौरान पढ़ा जाता है। यह स्तोत्र भक्तों को देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और उनके आशीर्वाद से जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
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