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- Create Date October 4, 2023
- Last Updated October 4, 2023
श्रीदुर्गा कवचम् ४ एक संस्कृत स्तोत्र है जो देवी दुर्गा की स्तुति करता है। यह स्तोत्र देवी दुर्गा को सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करने वाली देवी मानता है।
श्रीदुर्गा कवचम् ४ में 108 श्लोक हैं। स्तोत्र की शुरुआत में, साधक देवी दुर्गा की स्तुति करता है और उनकी कृपा प्राप्त करने की प्रार्थना करता है। देवी दुर्गा उनकी प्रार्थना सुनती हैं और उन्हें अपनी कृपा प्रदान करती हैं। स्तोत्र में, देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों का वर्णन है जो साधक को सभी प्रकार के संकटों से बचाते हैं।
श्रीदुर्गा कवचम् ४ का पाठ करने से साधक को कई लाभ होते हैं। यह स्तोत्र साधक को सभी प्रकार के संकटों से बचाता है, उसे आध्यात्मिक सिद्धि प्रदान करता है, और उसे लंबी और सुखी जीवन देता है।
श्रीदुर्गा कवचम् ४ का पाठ करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:
- सबसे पहले, एक साफ और पवित्र स्थान पर बैठें।
- फिर, एक दीपक जलाएं और देवी दुर्गा की पूजा करें।
- अब, श्रीदुर्गा कवचम् ४ का पाठ करें।
- स्तोत्र का पाठ करते समय, देवी दुर्गा पर ध्यान केंद्रित करें।
- स्तोत्र का पाठ करने के बाद, देवी दुर्गा से आशीर्वाद मांगें।
श्रीदुर्गा कवचम् ४ का पाठ करने से पहले, किसी योग्य गुरु से निर्देश लेना उचित है।
श्रीदुर्गा कवचम् ४ के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:
- सभी प्रकार के संकटों से सुरक्षा
- आध्यात्मिक सिद्धि
- लंबी और सुखी जीवन
- धन, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति
- सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति
- ऋणों से मुक्ति
- भय से मुक्ति
- मनोकामनाओं की पूर्ति
श्रीदुर्गा कवचम् ४ एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो साधक को देवी दुर्गा की रक्षा और आशीर्वाद प्रदान करता है।
श्रीदुर्गा कवचम् ४ के कुछ संस्कृत श्लोक निम्नलिखित हैं:
श्लोक 1
नमस्ते दुर्गे देवी सर्वशत्रुनाशिनि। सर्वमङ्गलाकरी त्वं सर्वविघ्ननिवारिणी।
अनुवाद
हे दुर्गा देवी, हे सभी शत्रुओं का नाश करने वाली, हे सभी मंगलों को देने वाली, हे सभी विघ्नों को दूर करने वाली, मैं तुम्हें प्रणाम करता हूं।
श्लोक 2
त्वं सर्वदुष्टभयनिवारिणी सर्वसौभाग्यदायिनि। त्वं सर्वरोगनिवारिणी त्वं सर्वसम्पदादायिनि।
अनुवाद
हे देवी, तुम सभी दुष्टों के भय को दूर करने वाली हो, तुम सभी सौभाग्य प्रदान करने वाली हो। तुम सभी रोगों को दूर करने वाली हो, तुम सभी सम्पदा प्रदान करने वाली हो।
श्लोक 3
त्वं सर्वदुःखनिवारिणी त्वं सर्वकामनापूर्तिकरी। त्वं सर्वशत्रुनिवारिणी त्वं सर्वविघ्ननिवारिणी।
अनुवाद
हे देवी, तुम सभी दुःखों को दूर करने वाली हो, तुम सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली हो। तुम सभी शत्रुओं को दूर करने वाली हो, तुम सभी विघ्नों को दूर करने वाली हो।
श्रीदुर्गा कवचम् ४ एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो साधक को देवी दुर्गा की रक्षा और आशीर्वाद प्रदान करता है।
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