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  • Create Date October 4, 2023
  • Last Updated October 4, 2023

श्रीशाकम्भरी कवचम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो देवी शाकम्भरी की रक्षा प्रदान करता है। यह स्तोत्र देवी शाकम्भरी के विभिन्न रूपों का वर्णन करता है जो साधक की रक्षा करते हैं।

श्रीशाकम्भरी कवचम् में 40 श्लोक हैं। स्तोत्र की शुरुआत में, साधक देवी शाकम्भरी से उनकी रक्षा करने की प्रार्थना करता है। देवी शाकम्भरी उनकी प्रार्थना सुनती हैं और उन्हें अपनी रक्षा प्रदान करती हैं। स्तोत्र में, देवी शाकम्भरी के विभिन्न रूपों का वर्णन है जो साधक की रक्षा करते हैं।

श्रीशाकम्भरी कवचम् का पाठ करने से साधक को कई लाभ होते हैं। यह स्तोत्र साधक को सभी बुराईयों से बचाता है, उसे आध्यात्मिक सिद्धि प्रदान करता है, और उसे लंबी और सुखी जीवन देता है।

श्रीशाकम्भरी कवचम् का पाठ करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:

  1. सबसे पहले, एक साफ और पवित्र स्थान पर बैठें।
  2. फिर, एक दीपक जलाएं और देवी शाकम्भरी की पूजा करें।
  3. अब, श्रीशाकम्भरी कवचम् का पाठ करें।
  4. स्तोत्र का पाठ करते समय, देवी शाकम्भरी पर ध्यान केंद्रित करें।
  5. स्तोत्र का पाठ करने के बाद, देवी शाकम्भरी से आशीर्वाद मांगें।

श्रीशाकम्भरी कवचम् का पाठ करने से पहले, किसी योग्य गुरु से निर्देश लेना उचित है।

श्रीशाकम्भरी कवचम् के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

  • सभी बुराईयों से सुरक्षा
  • आध्यात्मिक सिद्धि
  • लंबी और सुखी जीवन
  • धन, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति
  • सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति
  • ऋणों से मुक्ति
  • भय से मुक्ति
  • मनोकामनाओं की पूर्ति

श्रीशाकम्भरी कवचम् का पाठ करने से साधक को आध्यात्मिक उन्नति होती है और वह देवी शाकम्भरी की कृपा प्राप्त करता है।

श्रीशाकम्भरी कवचम् के कुछ संस्कृत श्लोक निम्नलिखित हैं:

॥ श्रीशाकम्भरी कवचम् ॥

अथ श्रीशाकम्भरी कवचम्।

ॐ नमस्ते शाकम्भरी देवी सर्वपापनाशिनी।

दुष्कर्मक्षये त्वयि भक्तिर्भावयते शुचिम्।

ॐ हृदये नमः।

ॐ शिरसे स्वाहा।

ॐ शिखायै वषट्।

ॐ कवचाय हुम्।

ॐ नेत्रत्रयाय वौषट्।

ॐ अस्त्राय फट्।

भूर्भुवः स्वरोमिति दिग्बन्धः।

इस स्तोत्र का अर्थ है:

"हे देवी शाकम्भरी, मैं आपको प्रणाम करता हूं। आप सभी पापों का नाश करने वाली हैं। आपके प्रति भक्ति से पापी भी शुद्ध हो जाते हैं।

मेरे हृदय में आप निवास करती हैं।

मेरे सिर पर आपका निवास है।

मेरे शिखा पर आपका निवास है।

मेरी कवच में आपका निवास है।

मेरी तीन आंखों में आपका निवास है।

मेरे अस्त्र में आपका निवास है।

मैं चारों दिशाओं में आपकी रक्षा करता हूं।"

श्रीशाकम्भरी कवचम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो साधक को देवी शाकम्भरी की रक्षा प्रदान करता है।


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