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- Create Date October 4, 2023
- Last Updated July 29, 2024
श्रीहनुमत्सोत्रम 3 का पाठ निम्नलिखित है:
श्लोक:
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर। राम दूत अतुलित बलधामा। अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥
भावार्थ:
हे हनुमान! आप ज्ञान और गुणों के सागर हैं। आप तीनों लोकों को प्रकाशित करते हैं। आप श्री राम के दूत हैं, आपके पास अतुलनीय बल है। आप अंजनी के पुत्र और पवनपुत्र हैं।
श्रीहनुमत्सोत्रम 3 का पाठ करने से भगवान हनुमान प्रसन्न होते हैं और भक्तों को निम्नलिखित लाभ होते हैं:
- सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।
- जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
- रोग और पीड़ा से छुटकारा मिलता है।
- बुरी आत्माओं से रक्षा होती है।
- मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
श्रीहनुमत्सोत्रम 3 का पाठ करने के लिए किसी विशेष समय या स्थान की आवश्यकता नहीं होती है। इसे किसी भी समय और किसी भी स्थान पर किया जा सकता है। हालांकि, हनुमान जी की पूजा के लिए विशेष अवसरों पर, जैसे कि हनुमान जयंती, मंगलवार और शनिवार को इस स्तोत्र का पाठ करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।
श्रीहनुमत्सोत्रम 3 का पाठ करने से पहले, भक्तों को भगवान हनुमान की प्रतिमा के सामने बैठना चाहिए और उन्हें फूल, धूप, दीप और फल अर्पित करना चाहिए। इसके बाद, भक्तों को शांत मन से और श्रद्धापूर्वक इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
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