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- Create Date October 3, 2023
- Last Updated October 3, 2023
श्रीसूर्य कवच 4 एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान सूर्य की स्तुति करता है। यह स्तोत्र ऋषि याज्ञवल्क्य द्वारा रचित है, और यह सूर्य देवता की शक्तियों और गुणों का वर्णन करता है।
श्रीसूर्य कवच 4 का पाठ करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:
- सूर्य देवता की कृपा प्राप्त होती है।
- सभी प्रकार के भय और खतरों से सुरक्षा प्राप्त होती है।
- रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- मानसिक और शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है।
- सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
श्रीसूर्य कवच 4 का पाठ करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाएं:
- सबसे पहले, एक स्वच्छ स्थान पर बैठें और अपने सामने एक दीपक जलाएं।
- फिर, भगवान सूर्य के नामों का उच्चारण करें।
- अब, भगवान सूर्य के स्वरूप और शक्तियों का वर्णन करते हुए कवच का पाठ करें।
- अंत में, भगवान सूर्य से अपनी रक्षा करने की प्रार्थना करें।
श्रीसूर्य कवच 4 का पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:
ध्यान
घृणिर्मे शीर्षकं पातु सूर्यः पातु ललाटकम् । आदित्यःपातु नेत्रे द्वे श्रोत्रे पातु दिवाकरः ॥ १॥
मूल मंत्र
ॐ नमो भगवते सूर्याय नमः
प्रणव मंत्र
ॐ ह्रीं सूर्याय नमः
अर्थ
हे भगवान सूर्य, मैं आपको नमन करता हूं।
आपका शीर्ष घृणि से सुरक्षित है, आपका ललाट सूर्य से सुरक्षित है, आपके दोनों नेत्र आदित्य से सुरक्षित हैं, और आपकी दोनों कान दिवाकर से सुरक्षित हैं।
फलश्रुतिः
इदमादित्यनामाख्यं कवचं धारयेत्सुधीः । सदीर्घायुस्सदा भोगी स्थिरसम्पद्विजायते ॥ ७॥
अर्थ
जो कोई भी इस सूर्य कवच का पाठ करता है, वह लंबी आयु, भोग और स्थिर धन प्राप्त करता है।
श्रीसूर्य कवच 4 एक बहुत ही शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह एक ऐसा उपाय है जो सभी प्रकार के भय और खतरों से सुरक्षा प्रदान करता है।
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