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  • Create Date October 3, 2023
  • Last Updated October 3, 2023

राहु कवच एक शक्तिशाली मंत्र है जो राहु ग्रह की रक्षा प्रदान करता है। यह एक स्तोत्र है जो राहु के स्वरूप और शक्तियों का वर्णन करता है।

राहु कवच का पाठ करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:

  • राहु ग्रह की कृपा प्राप्त होती है।
  • सभी प्रकार के भय और खतरों से सुरक्षा प्राप्त होती है।
  • रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  • मानसिक और शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है।
  • सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

राहु कवच का पाठ करने के लिए किसी विशेष समय या स्थान की आवश्यकता नहीं होती है। इसे किसी भी समय और किसी भी स्थान पर किया जा सकता है।

राहु कवच का पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:

  1. सबसे पहले, एक स्वच्छ स्थान पर बैठें और अपने सामने एक दीपक जलाएं।
  2. फिर, राहु के नामों का उच्चारण करें।
  3. अब, राहु के स्वरूप और शक्तियों का वर्णन करते हुए कवच का पाठ करें।
  4. अंत में, राहु से अपनी रक्षा करने की प्रार्थना करें।

राहु कवच का पाठ करने से सभी प्रकार के भय और खतरों से सुरक्षा प्राप्त होती है। यह एक बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है जो राहु ग्रह की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।

राहु कवच का पाठ करने के लिए निम्नलिखित मंत्र का उपयोग किया जाता है:

ॐ निलांबरः शिरः पातु ललाटं लोकवन्दितः। चक्षुषी पातु मे राहुः श्रोत्रे त्वर्धशरीरवान् ॥ नासिकां मे धूम्रवर्णः शूलपाणिर्मुखं मम। जिव्हां मे सिंहिकासूनुः कंठं मे कठिनांघ्रीकः ॥ भुजङ्गेशो भुजौ पातु निलमाल्याम्बरः करौ। पातु वक्षःस्थलं मंत्री पातु कुक्षिं विधुंतुदः ॥ कटिं मे विकटः पातु ऊरु मे सुरपूजितः। स्वर्भानुर्जानुनी पातु जंघे मे पातु जाड्यहा ॥ गुल्फ़ौ ग्रहपतिः पातु पादौ मे भीषणाकृतिः। सर्वाणि अंगानि मे पातु निलश्चंदनभूषणः ॥ राहोरिदम कवचमृद्धिदवस्तुदं यो। भक्ता पठत्यनुदिनं नियतः शुचिः सन्। प्राप्नोति कीर्तिमतुलां श्रियमृद्धिमायु रारोग्यमात्मविजयं च हि तत्प्रसादात् ॥

इस मंत्र का अर्थ है:

  • हे नीले रंग वाले,

  • हे लोकवन्दित,

  • हे राहु,

  • तुम मेरे सिर की रक्षा करो।

  • हे धूम्रवर्ण वाले,

  • हे शूलधारी,

  • हे मेरे मुख की रक्षा करो।

  • हे सिंहिका के पुत्र,

  • हे मेरे कंठ की रक्षा करो।

  • हे भुजंगों के स्वामी,

  • हे मेरे भुजाओं की रक्षा करो।

  • हे मंत्री,

  • हे मेरे कुक्षि की रक्षा करो।

  • हे विकट,

  • हे मेरे कटि की रक्षा करो।

  • हे सुरपूजित,

  • हे मेरे ऊरु की रक्षा करो।

  • हे स्वर्णिमाकार वाले,

  • हे मेरे जांघों की रक्षा करो।

  • हे भीषणाकृति,

  • हे मेरे पाद की रक्षा करो।

  • हे नीले वर्ण और चन्दन के आभूषणों वाले,

  • तुम मेरे सभी अंगों की रक्षा करो।

  • जो भक्त इस कवच का नित्य पाठ करता है,

  • वह सभी प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त करता है,

  • और सभी प्रकार के भय और खतरों से मुक्त हो जाता है।


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