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  • Create Date October 3, 2023
  • Last Updated October 3, 2023

नारायणसूक्तम् Narayanasuktam

नारायणसूक्तम् एक संस्कृत सूक्त है जो ऋग्वेद के दसवें मण्डल में स्थित है। यह सूक्त भगवान विष्णु की स्तुति करता है। नारायणसूक्त में, ऋषि भगवान विष्णु को विभिन्न रूपों और नामों से पुकारते हैं। वे भगवान विष्णु से अपने आशीर्वाद और कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं।

नारायणसूक्त का पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यह सूक्त भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष प्राप्त करने में मदद करता है।

नारायणसूक्त के पाठ के लाभ निम्नलिखित हैं:

  • भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
  • आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है।
  • मोक्ष प्राप्त होता है।
  • जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
  • सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

नारायणसूक्त का पाठ करने से पहले, यह महत्वपूर्ण है कि भक्त को संस्कृत का ज्ञान हो। भक्त को सूक्त का सही अर्थ और उद्देश्य समझना चाहिए।

नारायणसूक्त का पाठ करने के लिए, भक्त को एकांत स्थान में बैठना चाहिए और अपने सामने भगवान विष्णु की तस्वीर या प्रतिमा रखनी चाहिए। फिर, भक्त को सूक्त को ध्यान से और भक्ति के साथ पढ़ना चाहिए।

नारायणसूक्त का पाठ करने से भक्तों को अपने जीवन में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

नारायणसूक्त के कुछ महत्वपूर्ण श्लोक निम्नलिखित हैं:

  • "तस्मै श्रीकृष्णाय गोविंदाय नमो नमः" - इस श्लोक में, ऋषि भगवान विष्णु को कृष्ण और गोविंद के रूप में नमस्कार करते हैं।
  • "नारायणाय विष्णवे वासुदेवाय हरये । अक्षयभद्राय योगिने नमस्ते देव नमस्ते देव" - इस श्लोक में, ऋषि भगवान विष्णु को विभिन्न नामों से नमस्कार करते हैं।
  • "सर्वं खल्विदं ब्रह्मा । सर्वं खल्विदं विष्णुः । सर्वं खल्विदं शिवः । सर्वं खल्विदं ब्रह्म" - इस श्लोक में, ऋषि बताते हैं कि ब्रह्मा, विष्णु और शिव एक ही हैं।

नारायणसूक्त एक शक्तिशाली सूक्त है जो भक्तों को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

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