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- Create Date October 3, 2023
- Last Updated October 3, 2023
महाशास्त्र अनुग्रह कवच एक शक्तिशाली मंत्र है जो शास्त्रों की कृपा प्रदान करता है। यह मार्कण्डेय पुराण में वर्णित है, और इसे ब्रह्मा जी ने ऋषि मार्कण्डेय को दिया था।
महाशास्त्र अनुग्रह कवच की शुरुआत शास्त्रों के नामों के उच्चारण से होती है। फिर, शास्त्रों की महिमा का वर्णन किया जाता है, और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना की जाती है।
महाशास्त्र अनुग्रह कवच का पाठ करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:
- शास्त्रों की कृपा प्राप्त होती है।
- शास्त्रों के ज्ञान में वृद्धि होती है।
- सभी प्रकार के भय और खतरों से सुरक्षा प्राप्त होती है।
- रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- मानसिक और शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है।
- सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
महाशास्त्र अनुग्रह कवच का पाठ करने के लिए किसी विशेष समय या स्थान की आवश्यकता नहीं होती है। इसे किसी भी समय और किसी भी स्थान पर किया जा सकता है।
महाशास्त्र अनुग्रह कवच का पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:
- सबसे पहले, एक स्वच्छ स्थान पर बैठें और अपने सामने एक दीपक जलाएं।
- फिर, शास्त्रों के नामों का उच्चारण करें।
- अब, शास्त्रों की महिमा का वर्णन करते हुए कवच का पाठ करें।
- अंत में, शास्त्रों से अपनी रक्षा करने और ज्ञान प्रदान करने की प्रार्थना करें।
महाशास्त्र अनुग्रह कवच का पाठ करने से सभी प्रकार के भय और खतरों से सुरक्षा प्राप्त होती है। यह एक बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है जो शास्त्रों की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।
महाशास्त्र अनुग्रह कवच के कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
- शास्त्रों के ज्ञान में वृद्धि होती है।
- सभी प्रकार के भय और खतरों से सुरक्षा प्राप्त होती है।
- रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- मानसिक और शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है।
- सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
महाशास्त्र अनुग्रह कवच का पाठ करने से पहले किसी योग्य पंडित से सलाह लेना उचित है।
महाशास्त्र अनुग्रह कवच का पाठ करने के लिए निम्नलिखित मंत्र का उपयोग किया जाता है:
ॐ नमो भगवते
श्रीमहाशास्रनुग्रहाय
नमः
नमस्ते सर्वशास्त्रेभ्यो
नमस्ते सर्ववेदवेदांगभ्यो
नमस्ते सर्वदैवतैभ्यो
नमस्ते सर्वयोगिनां पतये
नमस्ते सर्वविद्यात्मने
नमस्ते सर्वविद्यारूपिणे
नमस्ते सर्वविद्याप्रदायकाय
नमस्ते सर्वविद्यामहेश्वराय
यं कवचं पठेत्
सर्वशास्त्रेभ्यो ज्ञातव्यं
सर्वविद्यां लभते
सर्वसिद्धिं च प्राप्तुं क्षमः
इस मंत्र का अर्थ है:
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हे महाशास्र अनुग्रह,
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मैं तुम्हें नमन करता हूं।
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हे सभी शास्त्रों,
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हे सभी वेदों और वेदांगों,
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हे सभी देवताओं,
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हे सभी योगियों के स्वामी,
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हे सभी विद्याओं के आत्मस्वरूप,
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हे सभी विद्याओं के रूप,
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हे सभी विद्याओं के प्रदाता,
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हे सभी विद्याओं के महादेव,
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जो इस कवच का पाठ करता है,
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वह सभी शास्त्रों को जान जाता है,
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सभी विद्याओं को प्राप्त करता है,
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और सभी सिद्धियों को प्राप्त करने में सक्षम होता है।
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