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- Create Date October 2, 2023
- Last Updated October 2, 2023
षट्कर्मणां कवचं शत्रुमर्दनम् Shatkarmanam Kavacham Shatrumardanam
श्री देव्युवायुवाच -
श्रुतंश्रुतं वटुकमा हा त्म्यं पूर्णपू र्णवि स्मयका रकम् ।
इदा नीं श्रो तुमितुमिच्छा मि कवचं वै षट्कर्मणा म् ॥ १॥
श्री ईश्वर उवाच -
शृणु देवि प्रवक्ष्या मि यन्मां त्वं परि पृच्पृछसि ।
श्रवणा त् पठना द्वा पि शत्रुनात्रुनाशा य तत्क्षणा त् ॥ २॥