संकष्टी के दिन गणपति की पूजा करने से घर से नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं. गणेश जी घर में आ रही सारी विपदाओं को दूर करते हैं और व्यक्ति की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं
किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश भगवान की पूजा से ही होती है. गणपति को बुद्धि, बल और विवेक का देवता कहा जाता है. भगवान गणेश अपने भक्तों की सभी परेशानियों और विघ्नों को हर लेते हैं इसीलिए इन्हें विघ्नहर्ता भी कहते हैं. संकष्टी चतुर्थी का त्योहार गणपति को समर्पित है. यह सभी प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है. संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी. संकष्टी चतुर्थी 7 जून को मनाई जाएगी. जानते हैं कि संकष्टी चतुर्थी क्यों मनाई जाती है.
तुलसी और विष्णु की कहानी
संकष्टी चतुर्थी की पौराणिक कथा
एक बार माता पार्वती और भगवान शिव नदी के पास बैठे हुए थे तभी माता पार्वती ने चौपड़ खेलने की इच्छा जाहिर की. समस्या इस बात की थी कि वहां उन दोनों के अलावा तीसरा कोई नहीं था जो खेल का निर्णय बता सके. समस्या को देखते हुए शिव और पार्वती ने मिलकर एक मिट्टी की मूर्ति बनाई और उसमें जान डाल दी. दोनों ने मिट्टी से बने बालक को खेल को अच्छी तरह से देखने का आदेश दिया ताकि यह फैसला आसानी से लिया जा सके कि कौन जीता और कौन हारा.
खेल शुरू हुआ जिसमें माता पार्वती बार-बार विजयी हो रही थीं. खेल का दौर लगातार चल रहा था लेकिन एक बार गलती से बालक ने माता पार्वती को हारा हुआ घोषित कर दिया. बालक की इस गलती ने माता पार्वती को बहुत क्रोधित हुईं और उन्होंने गुस्से में आकर बालक को लंगड़ा होने का श्राप दे दिया. बालक ने अपनी भूल के लिए माता से बहुत क्षमा मांगा. बालक के बार-बार निवेदन से माता का दिल पिघल गया.
मां पार्वती ने कहा कि मेरा श्राप वापस तो नहीं हो सकता लेकिन एक उपाय अपना कर वह श्राप से मुक्ति पा सकेगा. माता ने कहा कि संकष्टी वाले दिन पूजा करने इस जगह पर कुछ कन्याएं आती हैं. तुम उनसे व्रत की विधि पूछ कर इस व्रत को सच्चे मन से करना. बालक ने पूरी विधि और श्रद्धापूर्वक इस व्रत को किया. बालक की सच्ची आराधना से भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उसकी इच्छा पूछी. बालक ने माता पार्वती और भगवान शिव के पास जाने की इच्छा जताई.
गणेश जीनउस बालक की मांग पर उसे शिवलोक पंहुचा दिया. जब वह पहुंचा तो वहां उसे केवल भगवान शिव ही मिले क्योंकि माता पार्वती भगवान शिव से नाराज होकर उन्हें कैलाश छोड़कर चली गयी होती हैं. शिव ने उस बालक से पूछा वो यहां तक कैसे आया. जब उसने उन्हें बताया कि गणेश की पूजा से उसे यह वरदान प्राप्त हुआ है.
यह जानने के बाद भगवान शिव ने भी पार्वती को मनाने के लिए उस व्रत को किया जिसके बाद माता पार्वती भगवान शिव से प्रसन्न हो कर वापस कैलाश लौट आईं. इस कथा के अनुसार संकष्टी के दिन भगवान गणेश का व्रत करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है.