भगवान शंकर को भोलेनाथ भी कहा जाता है क्योंकि उनका स्वभाव बहुत ही भोला है लेकिन जब शिव को क्रोध आता है तो सृष्टि तितर-बितर हो जाती है. पौराणिक काल में शिव जी के क्रोध से भगवान काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी. हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी का दिन कालभैरव को समर्पित है. इसे कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है.
मान्यता है कि जो इस दिन सच्चे मन से शिव के रोद्र रूप काल भैरव की उपासना करता है बाबा भैरव उसके तमाम कष्ट, परेशानियां हर लेते हैं और हर पल उसकी सुरक्षा करते हैं. शनि और राहु की बाधाओं से मुक्ति के लिए भगवान भैरव की पूजा अचूक होती है. आइए जानते हैं चैत्र माह की कालाष्टमी कब है, पूजा का मुहूर्त और उपाय.
चैत्र कालाष्टमी 2023 मुहूर्त
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 14 मार्च 2023 को रात 08 बजकर 22 मिनट पर शुरू होगी. अष्टमी तिथि का समापन 15 मार्च 2023 को शाम 06 बजकर 45 मिनट पर होगा. धार्मिक मूल ग्रन्थ के अनुसार जिस दिन अष्टमी तिथि रात्रि के दौरान प्रबल होती है उस दिन व्रतराज कालाष्टमी का व्रत किया जाना चाहिए.
भगवान काल भैरव की ऐसे करें पूजा
कालाष्टमी भगवान शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन भक्त सूर्योदय से पहले उठकर जल्दी स्नान करते हैं। वे काल भैरव का आशीर्वाद लेने और अपने पापों के लिए क्षमा मांगने के लिए उनकी विशेष पूजा करते हैं। शाम को सभी श्रद्धालु भगवान काल भैरव के मंदिर भी जाते हैं और वहां विशेष पूजा अर्चना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि कालाष्टमी भगवान शिव का रौद्र रूप है। उनका जन्म भगवान ब्रह्मा के क्रोध को समाप्त करने के लिए हुआ था। कालाष्टमी पर सुबह के समय पूर्वजों की विशेष पूजा के साथ अनुष्ठान भी किया जाता है।
कष्टों से मुक्ति के लिए कालाष्टमी पर ऐसे करें पूजा
अगर जीवन में भयंकर परेशानी से जूझ रहे हैं, कोई उपाय समझ न आ रहा हो तो इस दिन काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं. मान्यता है इससे तमाम कष्टों से मुक्ति मिलती है. वहीं कालाष्टमी के दिन से रात्रि के समय भगवान भैरव की प्रतिमा के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाएं, अगर मंदिर जाना संभव नहीं है तो शिवलिंग के समक्ष ये उपाय करें, फिर कालभैरवाष्टक का पाठ करें. इससे शत्रु और शनि बाधा दूर होती है. ध्यान रहेकाल भैरव की पूजा किसी का अहित करने के लिए न करें, वरना इसके बुरे परिणाम झेलने पड़ सकते हैं. साथ ही इस दिन इस दिन किसी भी कुत्ते, गाय, आदि जानवर के साथ गलत व्यवहार और हिंसक व्यवहार ना करें.
कालाष्टमी का महत्व
कालाष्टमी का माहात्म्य ‘आदित्य पुराण’ में बताया गया है। हिंदी में ‘काल’ शब्द का अर्थ ‘समय’ है जबकि ‘भैरव’ का अर्थ ‘शिव का प्रकट होना’ है। इसलिए काल भैरव को ‘समय का देवता’ भी कहा जाता है और भगवान शिव के अनुयायी पूरी भक्ति के साथ उनकी पूजा करते हैं।पौराणिक किंवदंतियों के अनुसार, एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश के बीच बहस के दौरान भगवान शिव ब्रह्मा जी की एक टिप्पणी पर नाराज हो गए इसके बाद उन्होंने ‘महाकालेश्वर’ का रूप धारण किया और भगवान ब्रह्मा के 5वें सिर को काट दिया। तभी से देवता और मनुष्य भगवान शिव के इस रूप को ‘काल भैरव’ के रूप में पूजते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो लोग कालाष्टमी पर भगवान शिव की पूजा करते हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।