वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरूथिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से वैशाख कृष्ण एकादशी की महिमा और पूजा विधि के बारे में जानना चाहा. तब भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि वैशाख कृष्ण एकादशी वरूथिनी एकादशी के नाम से प्रसिद्ध है. वरूथिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के पाप मिटते हैं, भय दूर होता है, मोक्ष की प्राप्ति होती है और सौभाग्य मिलता है.
हिंदू धर्म के व्रत त्योहारों में एकादशी का सबसे प्रमुख स्थान है। प्रत्येक मास में दो एकादशी होती है और सभी का कुछ खास महत्व होता है। वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है। इस व्रत के बारे में शास्त्रों में बताया जाता है कि संपूर्ण विधि-विधान से यह व्रत करने और पूजा करने से उपासक को बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है और सभी पापों का नाश होता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस व्रत के महत्व, परंपरा और शुभ मुहूर्त के बारे मे
वरूथिनी एकादशी तिथि 2023
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 15 अप्रैल दिन शनिवार को रात 08 बजकर 45 मिनट पर प्रारंभ हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 16 अप्रैल दिन रविवार को शाम 06 बजकर 14 मिनट तक है. उदयातिथि के आधार पर वरूथिनी एकादशी का व्रत 16 अप्रैल रविवार को रखा जाएगा.
3 शुभ योगों में है वरूथिनी एकादशी
16 अप्रैल को वरूथिनी एकादशी वाले दिन प्रात:काल से शुक्ल योग है, जो देर रात 12:13 बजे तक है. उसके बाद से ब्रह्म योग है. यह पारण के दिन हैं. इन दो शुभ योगों के अलावा त्रिपुष्कर योग पारण वाले दिन 17 अप्रैल को प्रात: 04 बजकर 07 मिनट से सुबह 05 बजकर 54 मिनट तक है. व्रत के दिन शतभिषा नक्षत्र है. व्रत के दिन का अभिजित मुहूर्त सुबह 11:55 बजे से दोपहर 12:47 बजे तक है.
वरूथिनी एकादशी पूजा मुहूर्त 2023
वरूथिनी एकादशी वाले दिन सुबह 07:32 बजे से लेकर दोपहर 12:21 बजे तक शुभ समय है. इसमें सुबह 09:08 बजे से सुबह 10:45 बजे तक लाभ-उन्नति मुहूर्त और सुबह 10:45 बजे से दोपहर 12:21 बजे तक अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त है. इन मुहूर्त में आप एकादशी व्रत की पूजा कर सकते हैं. दोपहर में शुभ-उत्तम मुहूर्त 01:58 बजे से 03:34 बजे तक है.