हरतालिका तीज व्रत हर साल भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस दिन सुहागन महिलाएं और विवाह योग्य युवतियां ​निर्जला व्रत रखती हैं और कठोर नियमों का पालन करती हैं. सुहागन महिलाएं सुखी दांपत्य जीवन और पति के दीर्घायु के लिए और युवतियां मनचाहे वर की कामना से यह व्रत रखती हैं. उनको पूर्ण विश्वास होता है कि माता पार्वती और भगवान शिव उनकी पूजा को स्वीकार करेंगे और उनकी मनोकामनाएं पूरी होंगी. आपके मन में यह सवाल आता होगा कि हरतालिका तीज का नाम कैसे पड़ा? इसका अर्थ क्या होता है? तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव बता रहे हैं कि हरतालिका तीज का नाम कैसे पड़ा. हरतालिका तीज व्रत कथा में इन सब बातों का उत्तर है.

हरतालिका का अर्थ
हरतालिका शब्द दो शब्दों के मेल से बना है. पहला शब्द हर और दूसरा शब्द है तालिका. हर का तात्पर्य हरण करने से यानि किसी को अगवा कर लेने से है और तालिका शब्द का अर्थ है सखियां. अब हरतालिका से तात्पर्य सखियों के द्वारा हरण से है. अब सवाल है कि किसका हरण? किसकी सखियों ने किसका हरण किया था और क्यों?

हरतालिका तीज व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, सती के आत्मदाह के बाद मां आदिशक्ति पर्वतराज हिमालय के घर पर देवी पार्वती के रूप में जन्म लीं. उनके मन में भगवान शिव के प्रति प्रेम और भक्ति भाव था. जब वे बड़ी हुईं तो उनके पिता को उनके विवाह की चिंता हुई. नारद जी ने पर्वतराज हिमालय को बताया​ कि भगवान विष्णु देवी पार्वती से विवाह करना चाहते हैं. भगवान विष्णु को अपना दामाद बनाने के प्रस्ताव पर वे बहुत खुश हुए.

लेकिन जब देवी पार्वती को इस बात की सूचना मिली तो वे परेशान हो गईं क्योंकि वे भगवान शिव को अपना पति मान चुकी थीं और उनको ही पति स्वरूप में पाने की कामना करती थीं. ये सभी बातें पार्वती जी की सखियों ने भी जान लिया.फिर उन सखियों ने बिना किसी को बताए देवी पार्वती को महल से ले जाकर घने जंगल के बीच बने एक गुफा में छिपा दिया. देवी पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए रेत से एक शिवलिंग बनाया और उसकी पूजा करने लगीं. उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई सौ वर्षों तक कठोर तप और व्रत किया. तब जाकर एक दिन भगवान शिव प्रसन्न हुए और उनको दर्शन दिए.शिव जी ने देवी पार्वती को पत्नी स्वरूप में स्वीकार करने का आशीर्वाद दिया. तब जाकर माता पार्वती और शिव जी का विवाह हुआ. इस प्रकार से कठिन तप और व्रत के पुण्य से माता पार्वती को मनचाहे वर की प्राप्ति हुई. इस वजह से हर साल युवतियां मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए हरतालिका तीज व्रत करने लगीं. इस तरह से इस व्रत का नाम हरतालिका तीज पड़ा. इस साल हरतालिका तीज आज है.

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