पौराणिक दंत कथा अनुसार, एक बार शिवजी के निवास स्थान पर कुछ दुष्ट व्यक्ति प्रवेश कर जाते हैं। इस बात का बोध होते ही शिवजी नंदी को कुछ निर्देश देना के लिए बुलाते हैं लेकिन अतिउत्साही नंदी शिवजी को अनसुना कर के उन दुष्टों के पीछे भाग पड़ता है।
नंदी के इस अबोध आचरण से क्रोधित हो कर भगवान शिव नंदी को आज्ञा देते हैं-
आज से तुम्हारा स्थान मेरे निवास स्थान के बाहर ही रहेगा।
इसी कारण आज के समय में भी भगवान शिव के प्रिय नंदी का स्थान मंदिर के बाहर ही स्थापित किया जाता है।
सार / Moral of the story- बिन सोचे समझे किसी कार्य में अमल करने पर अपार विपदा आ सकती है। जब कोई ज्ञानी व्यक्ति कुछ बोल रहा हो तब उनकी बात काटनी नहीं चाहिए और उन्हे अनसुना नहीं करना चाहिए।