Bihar Panchami 2025: विक्रम संवत 1562 में मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को स्वामी हरिदास की सघन-उपासना के फलस्वरूप वृंदावन के निधिवन में श्री बांके बिहारी जी महाराज का प्राकट्य हुआ। Bihar Panchami बिहारी जी के इस प्राकट्य उत्सव को बिहार पंचमी के नाम से जाना जाने लगा।
जानें मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को क्यों होती है बिहारी जी की विशेष पूजा?
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बिहार पंचमी के रूप में मनाया जाता है। यह दिन वृंदावन के आराध्य ठाकुर श्री बांके बिहारी जी महाराज के प्राकट्य (आविर्भाव) दिवस के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण है। Bihar Panchami यह पर्व न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि भक्ति-भावना, प्रेम-लीला और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में प्रेरणा का अवसर भी है।
आइए, जानते हैं 2025 में बिहार पंचमी Bihar Panchami की तिथि, प्राकट्य कथा और इस उत्सव का महत्व।
Top rated products
-
Gayatri Mantra Jaap for Wisdom and Knowledge
View Details₹5,100.00 -
Kaal Sarp Dosh Puja Online – राहु-केतु के दोष से पाएं मुक्ति
View Details₹5,100.00 -
Saraswati Mantra Chanting for Intelligence & Academic Success
View Details₹11,000.00 -
Surya Gayatri Mantra Jaap Online
View Details₹1,000.00 -
Kuber Mantra Chanting – Invoke the Guardian of Wealth
View Details₹11,000.00
बिहार पंचमी 2025 कब है? (Bihar Panchami 2025 Date)
हर साल मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को मनाया जाने वाला यह महोत्सव वर्ष 2025 में 25 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा।
Bihar Panchami 2025 Date: पंचांग के अनुसार महत्वपूर्ण तिथि:
| विवरण | तिथि | |
| पर्व का दिन | 25 नवंबर 2025 | |
| पर्व का नाम | बिहार पंचमी महोत्सव | |
| मनाया जाता है | मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को |
बांके बिहारी जी के प्राकट्य की अद्भुत कथा (Prakatya Katha)
बांके बिहारी जी के प्राकट्य की कहानी भक्ति और संगीत की शक्ति को दर्शाती है:
1. स्वामी हरिदास जी की साधना: रसिक स्वामी हरिदास जी ने वृंदावन में स्थित निधिवन नामक स्थान पर गहन संगीत साधना की थी।
2. राधा-कृष्ण के दर्शन: स्वामी हरिदास जी की इस अद्भुत भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान श्री कृष्ण ने अपनी प्राण प्रिया राधारानी के संग उन्हें दर्शन दिए थे।
3. विग्रह का प्राकट्य: यह दिव्य दर्शन होते ही, उसी समय बांके बिहारी जी महाराज का प्राकट्य (आविर्भाव) हुआ।
यह कथा भक्तों को सिखाती है कि सच्ची भक्ति के माध्यम से भगवान स्वयं भक्तों के बीच प्रकट हो सकते हैं। इसीलिए भक्त इस दिन को ‘प्रकट्य दिवस’ के रूप में मनाते हैं।
Lord Ganesha Mantra: भगवान गणेश की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, कारोबार में लग जाएंगे चार चांद
Lord Ganesha Mantra: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो साधक भगवान गणेश की…
Champa Shashti 2025 Date And Time: चंपा षष्ठी 2025: तिथि, महत्व, पूजा विधि और कथा – सुखमय जीवन और पापमुक्ति का महाव्रत
चंपा षष्ठी (Champa Shashti) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत और उत्सव है। इसे चम्पा छठ (Champa Chhath), स्कंद षष्ठी…
Love Dreams: स्वप्न शास्त्र: सपने में पुराने प्रेमी या प्यार को देखने का क्या है गहरा संकेत ?
Love Dreams: नींद के दौरान व्यक्ति कई तरह के सपने देखता है। स्वप्न शास्त्र (Swapna Shastra) के अनुसार, कई सपने…
Meaning and significance of the name Banke Bihari:बांके बिहारी नाम का अर्थ और महत्व
बांके बिहारी जी प्रेम-लीला और भक्ति के प्रतीक माने जाते हैं। उनके नाम का शाब्दिक अर्थ भी बहुत गहरा है:
बांके (Banke): इसका अर्थ है ‘तीनों लोकों में झुके हुए’।
बिहारी (Bihari): इसका अर्थ है ‘वृंदावन में आनंदित रहने वाले’।
यह नाम भगवान कृष्ण के मनमोहक और प्रेमपूर्ण स्वरूप को दर्शाता है, जो अपने भक्तों के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।
बिहार पंचमी महोत्सव (Bihar Panchami Mahotsav) का आयोजन
सेवाधिकारी राजू गोस्वामी ने बताया है कि 25 नवंबर 2025 को मनाए जाने वाले इस पर्व का महत्व बहुत व्यापक है।
स्थल: बिहार पंचमी के दिन वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर और उनकी प्रकट स्थली निधिवन में अत्यंत भव्य आयोजन होता है।
उद्देश्य: यह उत्सव भक्ति-भावना, भजन-कीर्तन, प्रेम-लीला और भक्त-उत्साह का एक बड़ा समागम होता है।
लाभ: भक्तों के लिए यह दिन बिहारी जी की कृपा प्राप्ति, भक्ति में लीन होने और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में प्रेरणा का अवसर प्रदान करता है।
सामाजिक महत्व: यह उत्सव लोगों को एक साथ एकत्र करता है, जिससे भजन-कीर्तन, मिलन-समारोह और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से मानव-मनोदशा में आध्यात्मिक उछाल आता है।




