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Ashtami Vrat

Shravan Ashtami Vrat : सावन माह में केवल एक ही दुर्गाष्टमी आती है और इस दिन विधि विधान से मां दुर्गा की पूजा और व्रत करने से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

Ashtami Vrat
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Sawan Durga Ashtami Date : सावन माह (sawan) में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गाष्टमी (Sawan Durga Ashtami) का व्रत किया जाता है. आपको बता दें कि सावन माह में केवल एक ही दुर्गाष्टमी आती है और इस दिन विधि विधान से मां दुर्गा की पूजा और व्रत करने से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि सावन माह में दुर्गा अष्टमी कब पड़ रही है, साथ ही जानेंगे पूजा (Durga Ashtami puja) का शुभ मुहूर्त और उसकी विधि.

हिन्दू पंचांग के अनुसार हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी का व्रत किया जाता है। इस दिन देवी दुर्गा के भक्त उनकी पूजा करते हैं और पूरे दिन उपवास रखते हैं। हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है, कहा जाता है कि मां दुर्गा के सभी रूपों की व्यवस्थित तरीके से पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। मासिक दुर्गाष्टमी को मास दुर्गाष्टमी या Ashtami Vrat मासिक दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं इस मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत के महत्व और मान्यताओं के बारे में:

Shravan Ashtami Vrat 2025 Date: कब है सावन की दुर्गाष्टमी

दुर्गाष्टमी पूजा मुहूर्त जुलाई 2025 – Durgashtami Puja Muhurat July 2025

1 अगस्त 2025, शुक्रवार को अष्टमी तिथि है। यह आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है, जिसे Ashtami Vrat मासिक दुर्गाष्टमी के रूप में भी जाना जाता है।  1 अगस्त 2025 को, पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 31:23 तक रहेगी।

मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत का महत्व:Importance of monthly Durga Ashtami fast

ऐसे में इस दिन देवी दुर्गा का व्रत करने से जगदंबा माता की कृपा प्राप्त होती है.
भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं। घर में सुख-समृद्धि आती है, सुख-समृद्धि आती है, धन-लक्ष्मी आती है।

2025 में पड़ने वाली मासिक दुर्गा अष्टमी तिथियां:Monthly Durga Ashtami dates falling in 2025:

शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रद्धालु शारदा दुर्गा की पूजा कर व्रत भी रखते हैं। Ashtami Vrat अष्टमी पूजा आप पूजा के समय के बीच में कभी भी कर सकते हैं।

दुर्गा अष्टमी पूजा विधि: Durga Ashtami Puja Method

दुर्गा अष्टमी के दिन सुबह उठकर गंगाजल डालकर स्नान करें।
लकड़ी का पाठ लें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं।
फिर मां दुर्गा के मंत्र का जाप करते हुए उनकी प्रतिमा या फोटो स्थापित करें।
लाल या उधल के फूल, सिंदूर, अक्षत, नैवेद्य, सिंदूर, फल, मिठाई आदि से मां दुर्गा के सभी रूपों की पूजा करें।
फिर धूप-दीप जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और आरती भी करना न भूलें।
इसके बाद हाथ जोड़कर उनके सामने अपनी इच्छाएं रखें।

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