
Jamai Sasthi:भारत एक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश है। यहां कई अद्भुत त्यौहार मनाए जाते हैं। जितने राज्य हैं, उतनी हीं भाषाएं है, उतनी ही जाति है, उतने ही धर्म है और सभी के उतने ही रिवाज और रस्में हैं। कई तो ऐसे भी त्यौहार है जिनका नाम कई लोगों ने कभी सुना भी नहीं होगा। इन्हीं रोचक त्यौहारों में से एक है
बगांल में मनाया जाने वाला त्यौहार ‘जामाई षष्ठी’। कोलकाता में ‘जामाई षष्ठी’ नामक एक खूबसूरत त्यौहार मनाया जाता है। जामाई को कई जगह दामाद, मेहमान इत्यादि भी कहा जाता है। जामाई षष्ठी एक ऐसा त्यौहार है जो जामाई को अपने ससुराल पक्ष से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है। यह त्यौहार ससुरालवालों के साथ दमाद के सुंदर बंधन को भी प्रदर्शित करता है।
जामाई षष्ठी Jamai Sasthi का पारंपरिक त्यौहार महिलाओं की सामाजिक-धार्मिक तथा कर्तव्य के हिस्से के रूप में पैदा हुआ था। दामाद को ‘जामाई’ और ‘षष्ठी’ ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष के छठे दिन को कहते हैं। जिसका अर्थ छठा दिन है। इस प्रकार यह त्यौहार परंपरागत हिंदू कैलेंडर के ज्येष्ठ महीने में शुक्ल पक्ष के छठे दिन मनाया जाता है।
साल 2025 में जमाई षष्ठी कब है? (Jamai Sasthi 2025)
प्रत्येक वर्ष जमाई षष्ठी का त्योहार ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। अंग्रेज़ी कैलेंडर के अनुसार Jamai Sasthi जमाई षष्ठी का त्योहार मई तथा जून के महीने में मनाया जाता है। साल 2025 में जमाई षष्ठी 01 जून, दिन- रविवार को मनाया जाएगा।
जमाई षष्ठी का शाब्दिक अर्थ क्या है? What is the literal meaning of Jamai Sasthi ?
जमाई शब्द का अर्थ है दामाद, जबकी षष्ठी का अर्थ चंद्र मास का छठा दिन से है अर्थात् ज्येष्ठ माह के षष्ठी के दिन मनाए जाने वाले पर्व को जमाई षष्ठी कहा जाता है।
जमाई षष्ठी के दिन किए जाने वाले कार्यक्रम:Jamai Sasthi ke din kiye jaane vale karyakram
- पश्चिम बंगाल में हर एक बंगाली के घर में जमाई षष्ठी के दिन अपने दामाद का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सास अपनी बेटी तथा दामाद को आमंत्रित करती है।
- जमाई षष्ठी जैसे शुभ अवसर पर बेटियों और दामादों के लिए उपहार, कपड़े, साड़ियाँ और गहने खरीदा जाता है।
- जमाई षष्ठी के दिन सास अपने घर में देवी षष्ठी की पूजा करती है तथा इस दौरान देवी षष्ठी को पाँच प्रकार का फल, फूल, अक्षत तथा सिंदूर चढ़ाती है।
- उसके बाद सास अपने दामाद के लिए विभिन्न तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाती है।
- और इसके बदले दामाद भी अपने सास के लिए कई उपहार तथा गिफ़्ट लाते है और इस तरह जमाई षष्ठी का त्योहार मनाया जाता है।
जमाई षष्ठी की तैयारी: Preparation for Jamai Sasthi
सास अपने दामाद की स्वागत के लिए इस बड़े दिन की तैयारी पहले से ही शुरू कर देती है। सास अपनी बेटी और दामाद के लिए उपहार, साड़ियाँ और कभी-कभी सोने के गहने भी खरीदती हैं। उसके बाद एक भव्य दावत की योजना बनाई जाती है, जिसमें बंगाली व्यंजनों का सबसे अच्छा स्वाद होता है और इसमें दामाद के पसंदीदा व्यंजनों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
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अनुष्ठान और परंपराएँ: Rituals and Traditions
बंगालियों के घरों में जमाई षष्ठी का त्योहार बहुत ही उत्साह और हर्षोंल्लास के साथ मनाया जाता है। जमाई षष्ठी उत्सव की शुरुआत देवी षष्ठी की पूजा से होती है, जिसमें सास अपने परिवार की खुशहाली के लिए माता देवी षष्ठी से आशीर्वाद माँगती है। उसके बाद सास अपने जमाई का स्वागत आरती और तिलक लगाकर करती है, जो प्यार और सम्मान का प्रतीक है। सुरक्षा और सौभाग्य के प्रतीक के रूप में सास अपने दामाद के कलाई पर एक पवित्र पीला धागा बाँधती है।
जमाई षष्ठी के दिन दामाद का स्वागत: Welcoming the son-in-law on the day of Jamai Sasthi
जमाई षष्ठी Jamai Sasthi की शुरुआत में सबसे पहले सास अपने दामाद को गृह प्रवेश करवाती है तथा इस दौरान सास अपने दामाद को तिलक लगाती है और अपने दामाद की कलाई में पीला धागा बांधती है तथा उसके बाद अपने दामाद को कपूर से आरती कर खुशहाल रहने का आशीर्वाद देती है। अंत में दामाद अपने सास का पैर छूकर आशीर्वाद लेता है।
जमाई षष्ठी का सबसे प्रतीक्षित हिस्सा निस्संदेह भव्य दावत है तथा इस दिन सास अपने दामाद के लिए खास व्यंजन तैयार करती है जिनमें से शुक्तो, बेगुन भाजा, मिष्टी दोई, लूची, आलूर डोम, विभिन्न तरह का मिठाइयाँ तथा अन्य कई तरह के बंगाली व्यंजन शामिल होता है।
जमाई षष्ठी की थाली: Jamai Sashhi Thali
जमाई षष्ठी Jamai Sasthi के दिन सास अपने दामाद को एक राजा जैसा सम्मान प्रदान करने के लिए स्वादिष्ट व्यंजनों से भरा एक थाल तैयार करती है। खासकर दोपहर के भोजन में सास अपने दामाद को भात, दाल, पाँच प्रकार की तली हुई सब्जी(भाजी), कोशा मांगशो, इलिश भापा तथा अन्य कई स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जाते है।
- शुक्तो – बंगालियों का सबसे लजीज तथा स्वादिष्ट व्यंजन शुक्तो है तथा शुक्तो, भोजन की शुरुआत करने के लिए एक कड़वी-मीठी सब्ज़ी का मिश्रण है।
- लूची और आलूर डोम – मसालेदार आलू की करी के साथ परोसी जाने वाली फूली हुई पूरी के साथ आलूर डोम का स्वाद काफी लज़ीज़ होता है।
- इलिश भापा (सरसों की ग्रेवी में हिल्सा मछली) – बंगालियों के हर एक अनुष्ठान में इलिश माछ जरूर परोसा जाता है तथा जमाई षष्ठी के इस अवसर पर इलिश भापा विशेष रूप से तैयार किया जाता है।
- चिंगरी मलाई करी – नारियल के दूध तथा मसालेदार ग्रेवी में पकाए गए चिंगरी मलाई करी खाने में काफी स्वादिष्ट होता है।
- रसीले फल- रसीले फल में मुख्य रूप से आम और लीची को स्वादिष्ट व्यंजन के साथ परोसा जाता है।
- मटन कोशा – धीमी आंच पर पकाए जाने वाला, मसालेदार मटन कोशा।
- मिष्ठी (मिठाई) – रसगुल्ला, संदेश, काचा गोला और मिष्ठी दोई जैसी मिठाइयाँ तथा ये सारी व्यंजन दामाद के लिए थाल में सजाया जाता है अर्थात् सास अपने दामाद के लिए एक राजा की तरह स्वादिष्ट खाना परोसती है और इस तरह दामाद अपने ससुराल में जमाई षष्ठी के दिन स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ उठाते है।
जमाई षष्ठी का महत्व: Importance of Jamai Sasthi
जमाई षष्ठी Jamai Sasthi केवल एक त्यौहार नहीं है, बल्कि सास और दामाद के बीच प्यार और खूबसूरत बंधन की अभिव्यक्ति है। मान्यता है कि जमाई षष्ठी का त्योहार मनाने से दोनों परिवारों के बीच मतभेद कम होता है और इस दौरान सास तथा दामाद के बीच के रिश्ते ओर भी मज़बूत होते है। शुभो जमाई षष्ठी!
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जमाई षष्ठी से जुड़ी कहानी: Story related to Jamai Sasthi
1.पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने अपने घर पर भगवान शिव तथा देवी पार्वती को भोज के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन आपस में मन मुटाव होने के कारण माता लक्ष्मी ने देवी पार्वती की स्वागत नहीं की, इससे भगवान शिव नाराज हो गए और उन्होंने भगवान विष्णु को यह श्राप दिया कि तुम्हें अपना घर छोड़ रास्ते में एक भिखारी की तरह भटकना पड़ेगा।
तभी भगवान विष्णु ने एक जमाई(दामाद) का रूप धारण किया और ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की Jamai Sasthi षष्ठी तिथि को माता लक्ष्मी से आशीर्वाद प्राप्त किया। सास से क्षमा माँगने की इस कृतज्ञ से भगवान शिव द्वारा दिए गए श्राप से भगवान विष्णु मुक्त हो जाते है और इस तरह भगवान विष्णु अपने घर वापस लौटने में सक्षम हो जाते है।
2.अन्य पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन समय में एक महिला अपने घर का सारा खाना खा लेती थी, और लगातार अपना दोष एक बिल्ली पर लगाती कि उसके घर का खाना बिल्ली खाई है। बिल्ली की सवारी करने वाली माँ षष्ठी उस महिला पर काफी क्रोधित हुई।
महिला गर्भवती थी तथा जब महिला के बच्चे धरती पर जन्म लिए तो उनमें से एक बच्चा ग़ायब हो गया, इस दौरान महिला देवी षष्ठी को खुश करने के लिए उनकी पूजा आराधना की। तो देवी षष्ठी महिला को उनका बच्चा वापस कर दी। लेकिन इस घटना की वजह से महिला के ससुराल वाले नाखुश थे, और महिला को अपने माता-पिता से मिलने के लिए मना कर दिए।
लेकिन कुछ सालों बाद षष्ठी पूजा के दिन महिला की माता-पिता अपने दामाद तथा बेटी को घर बुलाया और इस दिन को जमाई षष्ठी के रूप में मनाया गया।