
Bharat Bhumatra Stotra in Hindi:भारत भूमातृ स्तोत्र हिंदी पाठ
वन्दे मातरमव्यक्तां व्यक्तां च जननीं पराम् ।
दीनोहं बालक: कांक्षे सेवां जन्मनि जन्मनि ।। 1 ।।
सागरालिंगिता लक्ष्मीं जगज्जनककन्यकाम् ।
स्थितां हिमनगस्यांके पार्वतीमपरां भजे ।। 2 ।।
शुभ्रं धर्मध्वजं मातु: किं वा राशीकृतं यश: ।
रौप्यं वा मुकुटं दिव्यं वन्देऽहं तं हिमालयम् ।। 3 ।।
जाह्नवीयमुनासिन्धुब्रह्मपुत्रशतद्रुभि: ।
भूदेवीं पंचधाराभि सततं साभिषिचंति ।। 4 ।।
नगाधिपं धारयंती मस्तके रत्नमद्वयम् ।
काश्मीरं च ललाटे भ्रूमध्ये नेपालिकां शुभाम् ।। 5 ।।
Bharat Bhumatra Stotra नर्मदातापतीविंध्यसप्तपीठकमेखलाम् ।
पूर्वापराचलोरूँ च मलयं पादपीठके ।
मध्यदेशोदरे गुप्तानक्षयान् धनसंचयान् ।। 6 ।।
असुराणां पुरी लंका दासी यंच्चरणयो: कृता ।
तां देवी भारतीं वन्दे मातरं विश्वपूजिताम् ।। 7 ।।
दृष्टा चैवोपनिषदां गीतशास्त्रप्रवर्तक: ।
षड्दर्शनप्रवक्ता च भगवान्पाणिनिर्मुनि: ।। 8 ।।
वाल्मीकिश्र्च तथा व्यास: कालिदासो महाकवि: ।
आर्यभट्टश्र्च भरत: शंकरोऽद्वैतकेसरी ।। 9 ।।
भीष्मरामार्जुना वीरा नृपौ रामयुधिष्ठिरौ ।
सावित्री द्रोपदी सीता दमयंती च तारका ।। 10 ।।
महाधान्यद्वितीयानि रत्नान्येतानि भूतले ।
जननी भारती तेषां रत्नगर्भा कथं न सा ।। 11 ।।
वसुंधरा रत्नगर्भा रसा विश्र्वंभरा क्षमा ।
सर्वसहा स्थिरा चैव भारती भूसुकन्यका ।। 12 ।।
रत्नाकर: स्वयं भक्त्या मुक्तो पायनपूर्वकम् ।
चरणान्क्षालयत्यस्या अंतद्रश्र्च दिवानिशम् ।। 13 ।।
कैलासद्वारकाधीशौ रामेश्वरपुरीश्र्वरौ ।
द्वारपाला वभूबुश्र्च सौभाग्यं मातुरद्भुतम् ।। 14 ।।
पोषयन्ति सदा मातु: पर्वतस्तनमण्डलात् ।
नि:सृहाश्र्च पयोधारा: संततीनां परंपरा ।। 15 ।।
पुत्रवत्सलता मातुरगाथा हरिणा स्वयम् ।
अवतीर्योदरे सोढं गर्भदुखं पुन: पुन: ।। 16 ।।
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