Swaminarayan Arti:स्वामीनारायण आरती का पाठ और इसके दर्शन करने से कई आध्यात्मिक और मानसिक लाभ प्राप्त होते हैं। इसके मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं:

Swaminarayan Arti:श्री स्वामीनारायण आरती प्रतिदिन सभी BAPS मंदिरों में तथा भक्ति भाव से भरे अनगिनत घरों में और विशेष अवसरों पर गाई जाती है। यह आरती उपासकों के ह्रदय को अक्षरपुरूषोत्तम प्रभु के दिव्य रूपों की महिमा की याद दिलाती है। श्री स्वामीनारायण आरती के बोल हिंदी में इस प्रकार से हैं..

1. आध्यात्मिक उन्नति

  • स्वामीनारायण आरती भगवान स्वामीनारायण की भक्ति का प्रतीक है। इसे नियमित रूप से करने से आत्मा शुद्ध होती है और परमात्मा के प्रति प्रेम और समर्पण बढ़ता है।

2. मानसिक शांति

  • आरती के दौरान गाए जाने वाले भजन और मंत्र मन को शांति प्रदान करते हैं। Swaminarayan Arti यह तनाव, चिंता और नकारात्मक विचारों को दूर करने में मदद करता है।

3. सकारात्मक ऊर्जा

  • आरती के समय जलाए गए दीपक और गाए गए श्लोक घर और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। यह नकारात्मक शक्तियों को दूर रखता है।

4. संकटों का निवारण

  • स्वामीनारायण आरती करने से जीवन में आने वाले संकटों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यह आरती भक्तों को साहस और आत्मबल प्रदान करती है।

5. धार्मिक संस्कारों का विकास

  • आरती में भाग लेने से बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों में धार्मिक और नैतिक संस्कार विकसित होते हैं।

6. सामूहिक भक्ति का अनुभव

  • जब आरती सामूहिक रूप से की जाती है, Swaminarayan Arti तो यह भक्तों में एकता और सामंजस्य की भावना पैदा करती है।

7. शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार

  • नियमित रूप से आरती करने से वातावरण की शुद्धि होती है, जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

8. ईश्वरीय कृपा और आशीर्वाद

  • स्वामीनारायण आरती करने वाले भक्तों पर भगवान की कृपा सदैव बनी रहती है। यह आरती उनके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाती है।

Swaminarayan Arti:स्वामीनारायण आरती के शब्द

  • “जय सद्गुरु स्वामी, प्रभु जय सद्गुरु स्वामी।”
  • इसके मंत्रों में गहराई से भगवान स्वामीनारायण की महिमा और उनके आदर्शों का बखान है।

नियमित रूप से स्वामीनारायण आरती करने से व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों ही क्षेत्रों में सकारात्मक परिवर्तन होता है।

भगवान स्वामीनारायण के छठे आध्यात्मिक उत्तराधिकारी परम पूज्य महंत स्वामी महाराज ने अक्षर पुरूषोत्तम प्रभु की महिमा भरी आरती को रचकर इसके गायन की एवं प्रेरणा दी है।

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