Shri Kuber Aarti:भारत के सबसे बड़े त्यौहार दीपावली का शुभ आरंभ धनतेरस से होता है, धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी, भगवान कुबेर एवं श्री गणेश की पूजा-आरती प्रमुखता से की जाती है।

Shri Kuber Aarti:कुबेर आरती को लक्ष्मी पूजन और धन प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। कुबेर देवता धन, संपत्ति और ऐश्वर्य के देवता हैं और उनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और आर्थिक उन्नति आती है।Shri Kuber Aarti कुबेर भगवान की आरती विशेष रूप से दीपावली, धनतेरस और अन्य शुभ अवसरों पर की जाती है।

कुबेर आरती के लाभ

  1. धन की वृद्धि: कुबेर भगवान की आरती और पूजा से धन की वृद्धि होती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  2. संपत्ति में वृद्धि: कुबेर की आरती से संपत्ति और व्यापार में वृद्धि होती है।
  3. अचानक लाभ: कुबेर भगवान की कृपा से अचानक धन लाभ, लाभकारी अवसर या लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
  4. नकारात्मकता का नाश: कुबेर की आरती करने से घर या कार्यस्थल से नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

Shri Kuber Aarti:कुबेर आरती का पाठ

यहाँ कुबेर देव की आरती का सरल पाठ दिया गया है:

जय कुबेर महाराज, जय कुबेर महाराज।
धन धान्य के तुम हो साज, जय कुबेर महाराज।।

जय धनेश्वर महिमा न्यारी, सब धन तुमसे पाता है।
जो भी ध्यान लगाए तेरा, तुम उसकी नैया पार लगाए।।

अमूल्य भंडार है तेरा, अन्नपूर्णा तुमसे भरती।
सब दुखहारी देवा तुम्ही, सबके मन की आस पुरी।।

जय कुबेर महाराज, जय कुबेर महाराज।
धन धान्य के तुम हो साज, जय कुबेर महाराज।।

इस आरती का नियमित रूप से और श्रद्धा भाव से पाठ करने से व्यक्ति को कुबेर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और उसके घर में धन, सुख और समृद्धि का वास होता है।

Shri Kuber Aarti:कुबेर आरती की विधि

  1. कुबेर की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएँ।
  2. कुबेर मंत्र का जप करें और फिर आरती करें।
  3. आरती के बाद कुबेर देवता को नैवेद्य (मिठाई या फल) अर्पित करें।
  4. पूजा के अंत में भगवान कुबेर से आर्थिक उन्नति और समृद्धि की कामना करें।

इस आरती से आपके जीवन में कुबेर देव की कृपा से आर्थिक प्रगति होगी।

Shri Kuber Aarti:श्री कुबेर आरती

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे ।
शरण पड़े भगतों के,
भण्डार कुबेर भरे ।
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े ।
दैत्य दानव मानव से,
कई-कई युद्ध लड़े ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

स्वर्ण सिंहासन बैठे,
सिर पर छत्र फिरे,
स्वामी सिर पर छत्र फिरे ।
योगिनी मंगल गावैं,
सब जय जय कार करैं ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

गदा त्रिशूल हाथ में,
शस्त्र बहुत धरे,
स्वामी शस्त्र बहुत धरे ।
दुख भय संकट मोचन,
धनुष टंकार करें ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने ।
मोहन भोग लगावैं,
साथ में उड़द चने ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

बल बुद्धि विद्या दाता,
हम तेरी शरण पड़े,
स्वामी हम तेरी शरण पड़े ।
अपने भक्त जनों के,
सारे काम संवारे ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

मुकुट मणी की शोभा,
मोतियन हार गले,
स्वामी मोतियन हार गले ।
अगर कपूर की बाती,
घी की जोत जले ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

यक्ष कुबेर जी की आरती,
जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत प्रेमपाल स्वामी,
मनवांछित फल पावे ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

Shri Kuber Aarti

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