Vishwakarma Aarti:विश्वकर्मा आरती का पाठ भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो निर्माण, तकनीकी, या कला से जुड़े होते हैं। विश्वकर्मा जी को भगवान का रूप माना जाता है जो सृष्टि के विभिन्न निर्माणों के देवता हैं। यहां विश्वकर्मा आरती के फायदे और उसे कब करना चाहिए, के बारे में जानकारी दी गई है:
Vishwakarma Aarti:विश्वकर्मा आरती के फायदे:
- सृजनात्मकता में वृद्धि: विश्वकर्मा आरती का पाठ करने से व्यक्ति की सृजनात्मकता और तकनीकी कौशल में वृद्धि हो सकती है।
- सफलता और समृद्धि: यह आरती नौकरी, व्यवसाय, या किसी भी निर्माण कार्य में सफलता और समृद्धि के लिए की जाती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: आरती करने से घर और कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे कार्य में बाधाएं दूर होती हैं।
- धैर्य और एकाग्रता: नियमित आरती पाठ से धैर्य और एकाग्रता में वृद्धि होती है, जो कि किसी भी कार्य में सफलता के लिए आवश्यक है।
Vishwakarma Aarti:कब करें विश्वकर्मा आरती:
- प्रतिदिन: यदि आप किसी निर्माण या तकनीकी कार्य में लगे हैं, तो प्रतिदिन सुबह या शाम को आरती करना शुभ होता है।
- विशेष अवसरों पर: विश्वकर्मा जयंती (जो आमतौर पर भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तिथि को मनाई जाती है) पर आरती करना विशेष लाभदायक माना जाता है।
- नई परियोजनाओं की शुरुआत: जब आप किसी नए काम या परियोजना की शुरुआत कर रहे हों, तब Vishwakarma Aarti विश्वकर्मा आरती का पाठ करना लाभकारी होता है।
आरती का पाठ:
आरती का पाठ करते समय एक स्वच्छ स्थान पर भगवान Vishwakarma Aarti विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीप जलाना चाहिए और ध्यानपूर्वक आरती करनी चाहिए। इसे परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिलकर करना और प्रसाद वितरण करना भी शुभ माना जाता है।
इन बातों का ध्यान रखकर, आप विश्वकर्मा आरती का सही ढंग से लाभ उठा सकते हैं।
Vishwakarma Aarti(विश्वकर्मा आरती)
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता,
रक्षक स्तुति धर्मा ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
आदि सृष्टि मे विधि को,
श्रुति उपदेश दिया ।
जीव मात्र का जग में,
ज्ञान विकास किया ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
ऋषि अंगीरा तप से,
शांति नहीं पाई ।
ध्यान किया जब प्रभु का,
सकल सिद्धि आई ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
रोग ग्रस्त राजा ने,
जब आश्रय लीना ।
संकट मोचन बनकर,
दूर दुःखा कीना ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
जब रथकार दंपति,
तुम्हारी टेर करी ।
सुनकर दीन प्रार्थना,
विपत सगरी हरी ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
एकानन चतुरानन,
पंचानन राजे।
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज,
सकल रूप साजे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
ध्यान धरे तब पद का,
सकल सिद्धि आवे ।
मन द्विविधा मिट जावे,
अटल शक्ति पावे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
श्री विश्वकर्मा की आरती,
जो कोई गावे ।
भजत गजानांद स्वामी,
सुख संपति पावे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता,
रक्षक स्तुति धर्मा ॥