Khatu Shyam Chalisa:खाटू श्याम चालीसा: भक्ति का अद्भुत संगम
Khatu Shyam Chalisa:खाटू श्याम चालीसा भगवान श्री श्याम, जो भगवान कृष्ण के अवतार माने जाते हैं, की स्तुति में लिखा गया एक अत्यंत लोकप्रिय भक्ति गीत है। यह चालीसा भगवान श्याम के विभिन्न रूपों, लीलाओं और गुणों का वर्णन करती है। इसे पढ़ने या सुनने से मन शांत होता है और भक्तों में भगवान श्याम के प्रति अगाध श्रद्धा जागृत होती है।
Khatu Shyam Chalisa:खाटू श्याम चालीसा का महत्व
- धार्मिक महत्व: हिंदू धर्म में भगवान श्याम को एक लोकप्रिय देवता के रूप में पूजा जाता है। खाटू श्याम चालीसा का पाठ करने से भक्तों को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
- आध्यात्मिक लाभ: यह चालीसा मन को शांत करती है और तनाव को कम करती है। यह व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है।
- भावनात्मक लाभ: खाटू श्याम चालीसा को पढ़ने से भक्तों में भगवान श्याम के प्रति प्रेम और श्रद्धा बढ़ती है।
Khatu Shyam Chalisa:खाटू श्याम चालीसा के कुछ प्रमुख बिंदु
- श्यामजी के विभिन्न रूपों का वर्णन: चालीसा में भगवान श्याम के विभिन्न रूपों जैसे कि मनमोहन, चित चोर, आदि का वर्णन किया गया है।
- लीलाओं का वर्णन: भगवान श्याम की विभिन्न लीलाओं जैसे कि भक्तों की रक्षा करना, दुख दूर करना, आदि का वर्णन किया गया है।
- गुणों का वर्णन: भगवान श्याम के दयालु, करुणामय, ज्ञानी और शक्तिशाली होने का वर्णन किया गया है।
Khatu Shyam Chalisa:खाटू श्याम चालीसा का पाठ कैसे करें?
खाटू श्याम चालीसा का पाठ करते समय मन को शांत रखें और भगवान श्याम की भक्ति में लीन हो जाएं। आप इसे सुबह या शाम के समय कर सकते हैं।
यहां एक उदाहरण दिया गया है:
- शांति से बैठें: एक शांत जगह पर बैठें और अपनी आंखें बंद करें।
- भगवान श्याम का ध्यान करें: भगवान श्याम की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर उनका ध्यान करें।
- चालीसा का पाठ करें: धीरे-धीरे और ध्यान से खाटू श्याम चालीसा का पाठ करें।
- भावनाओं को महसूस करें: पाठ करते समय अपनी भावनाओं को महसूस करें।
Khatu Shyam Chalisa:खाटू श्याम चालीसा
॥ दोहा॥
श्री गुरु चरणन ध्यान धर,
सुमीर सच्चिदानंद ।
श्याम चालीसा भजत हूँ,
रच चौपाई छंद ।
॥ चौपाई ॥
श्याम-श्याम भजि बारंबारा ।
सहज ही हो भवसागर पारा ॥
इन सम देव न दूजा कोई ।
दिन दयालु न दाता होई ॥
भीम सुपुत्र अहिलावाती जाया ।
कही भीम का पौत्र कहलाया ॥
यह सब कथा कही कल्पांतर ।
तनिक न मानो इसमें अंतर ॥
बर्बरीक विष्णु अवतारा ।
भक्तन हेतु मनुज तन धारा ॥
बासुदेव देवकी प्यारे ।
जसुमति मैया नंद दुलारे ॥
मधुसूदन गोपाल मुरारी ।
वृजकिशोर गोवर्धन धारी ॥
सियाराम श्री हरि गोबिंदा ।
दिनपाल श्री बाल मुकुंदा ॥
दामोदर रण छोड़ बिहारी ।
नाथ द्वारिकाधीश खरारी ॥
राधाबल्लभ रुक्मणि कंता ।
गोपी बल्लभ कंस हनंता ॥ 10
मनमोहन चित चोर कहाए ।
माखन चोरि-चारि कर खाए ॥
मुरलीधर यदुपति घनश्यामा ।
कृष्ण पतित पावन अभिरामा ॥
मायापति लक्ष्मीपति ईशा ।
पुरुषोत्तम केशव जगदीशा ॥
विश्वपति जय भुवन पसारा ।
दीनबंधु भक्तन रखवारा ॥
प्रभु का भेद न कोई पाया ।
शेष महेश थके मुनिराया ॥
नारद शारद ऋषि योगिंदरर ।
श्याम-श्याम सब रटत निरंतर ॥
कवि कोदी करी कनन गिनंता ।
नाम अपार अथाह अनंता ॥
हर सृष्टी हर सुग में भाई ।
ये अवतार भक्त सुखदाई ॥
ह्रदय माहि करि देखु विचारा ।
श्याम भजे तो हो निस्तारा ॥
कौर पढ़ावत गणिका तारी ।
भीलनी की भक्ति बलिहारी ॥ 20
सती अहिल्या गौतम नारी ।
भई श्रापवश शिला दुलारी ॥
श्याम चरण रज चित लाई ।
पहुंची पति लोक में जाही ॥
अजामिल अरु सदन कसाई ।
नाम प्रताप परम गति पाई ॥
जाके श्याम नाम अधारा ।
सुख लहहि दुःख दूर हो सारा ॥
श्याम सलोवन है अति सुंदर ।
मोर मुकुट सिर तन पीतांबर ॥
गले बैजंती माल सुहाई ।
छवि अनूप भक्तन मान भाई ॥
श्याम-श्याम सुमिरहु दिन-राती ।
श्याम दुपहरि कर परभाती ॥
श्याम सारथी जिस रथ के ।
रोड़े दूर होए उस पथ के ॥
श्याम भक्त न कही पर हारा ।
भीर परि तब श्याम पुकारा ॥
रसना श्याम नाम रस पी ले ।
जी ले श्याम नाम के ही ले ॥ 30
संसारी सुख भोग मिलेगा ।
अंत श्याम सुख योग मिलेगा ॥
श्याम प्रभु हैं तन के काले ।
मन के गोरे भोले-भाले ॥
श्याम संत भक्तन हितकारी ।
रोग-दोष अध नाशे भारी ॥
प्रेम सहित जब नाम पुकारा ।
भक्त लगत श्याम को प्यारा ॥
खाटू में हैं मथुरावासी ।
पारब्रह्म पूर्ण अविनाशी ॥
सुधा तान भरि मुरली बजाई ।
चहु दिशि जहां सुनी पाई ॥
वृद्ध-बाल जेते नारि नर ।
मुग्ध भये सुनि बंशी स्वर ॥
हड़बड़ कर सब पहुंचे जाई ।
खाटू में जहां श्याम कन्हाई ॥
जिसने श्याम स्वरूप निहारा ।
भव भय से पाया छुटकारा ॥
॥ दोहा ॥
श्याम सलोने संवारे,
बर्बरीक तनुधार ।
इच्छा पूर्ण भक्त की,
करो न लाओ बार
॥ इति श्री खाटू श्याम चालीसा ॥