Pitar Chalisa:श्री पितर चालीसा: आपके पूर्वजों के प्रति श्रद्धा का भाव

Pitar Chalisa:श्री पितर चालीसा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जो हमारे Pitar Chalisa पूर्वजों या पितरों को समर्पित है। यह चालीसा पितृ पक्ष के दौरान विशेष रूप से गाया जाता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक महत्वपूर्ण अवधि होती है जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

Pitar Chalisa:पितर चालीसा का महत्व

  • पितृ दोष निवारण: यह माना जाता है कि Pitar Chalisa पितर चालीसा का पाठ करने से Pitar Chalisa पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
  • आशीर्वाद प्राप्ति: पितर चालीसा का नियमित पाठ करने से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • शांति और समृद्धि: यह चालीसा घर में शांति और समृद्धि लाता है।
  • आध्यात्मिक विकास: पितर चालीसा का पाठ आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है।

Pitar Chalisa:पितर चालीसा कैसे पढ़ें?

  • शांत वातावरण: पितर चालीसा को शांत और पवित्र वातावरण में पढ़ें।
  • पूजा स्थल: आप पितर चालीसा को पूजा स्थल पर बैठकर पढ़ सकते हैं।
  • ध्यान केंद्रित करें: पितर चालीसा का पाठ करते समय अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और भक्ति भाव रखें।
  • नियमित पाठ: पितर चालीसा का नियमित पाठ करने से अधिक लाभ मिलता है।

Pitar Chalisa:पितर चालीसा के कुछ लाभ

  • मन की शांति: Pitar Chalisa पितर चालीसा का पाठ मन को शांत और स्थिर करता है।
  • आत्मविश्वास: यह आत्मविश्वास बढ़ाता है।
  • सकारात्मक ऊर्जा: यह सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  • सफलता: यह जीवन में सफलता दिलाता है।

अन्य जानकारी

  • पितर चालीसा के विभिन्न संस्करण उपलब्ध हैं।
  • आप पितर चालीसा को किसी पंडित या धार्मिक गुरु से भी सीख सकते हैं।
  • पितर चालीसा का पाठ करते समय आप अपने पूर्वजों को याद कर सकते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं।

श्री पितर चालीसा एक भक्ति गीत है जो श्री पितर पर आधारित है। कई लोग श्री पितर चालीसा का पाठ पितरों के श्राद्ध के दौरान करते हैं। पितर को पितृ, जो कि परिवार के मृतक पूर्वज होते हैं, के रूप में भी जाना जाता है।

॥ दोहा ॥
हे पितरेश्वर आपको,दे दियो आशीर्वाद।
चरणाशीश नवा दियो,रखदो सिर पर हाथ॥

सबसे पहले गणपत,पाछे घर का देव मनावा जी।
हे पितरेश्वर दया राखियो,करियो मन की चाया जी॥

॥ चौपाई ॥
पितरेश्वर करो मार्ग उजागर।चरण रज की मुक्ति सागर॥
परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा।मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा॥

मातृ-पितृ देव मनजो भावे।सोई अमित जीवन फल पावे॥
जै-जै-जै पित्तर जी साईं।पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं॥

चारों ओर प्रताप तुम्हारा।संकट में तेरा ही सहारा॥
नारायण आधार सृष्टि का।पित्तरजी अंश उसी दृष्टि का॥

प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते।भाग्य द्वार आप ही खुलवाते॥
झुंझुनू में दरबार है साजे।सब देवों संग आप विराजे॥

प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा।कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा॥
पित्तर महिमा सबसे न्यारी।जिसका गुणगावे नर नारी॥

तीन मण्ड में आप बिराजे।बसु रुद्र आदित्य में साजे॥
नाथ सकल संपदा तुम्हारी।मैं सेवक समेत सुत नारी॥

छप्पन भोग नहीं हैं भाते।शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते॥
तुम्हारे भजन परम हितकारी।छोटे बड़े सभी अधिकारी॥

भानु उदय संग आप पुजावै।पांच अँजुलि जल रिझावे॥
ध्वज पताका मण्ड पे है साजे।अखण्ड ज्योति में आप विराजे॥

सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी।धन्य हुई जन्म भूमि हमारी॥
शहीद हमारे यहाँ पुजाते।मातृ भक्ति संदेश सुनाते॥

जगत पित्तरो सिद्धान्त हमारा।धर्म जाति का नहीं है नारा॥
हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई।सब पूजे पित्तर भाई॥

हिन्दु वंश वृक्ष है हमारा।जान से ज्यादा हमको प्यारा॥
गंगा ये मरुप्रदेश की।पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की॥

बन्धु छोड़ना इनके चरणाँ।इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा॥
चौदस को जागरण करवाते।अमावस को हम धोक लगाते॥

जात जडूला सभी मनाते।नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते॥
धन्य जन्म भूमि का वो फूल है।जिसे पितृ मण्डल की मिली धूल है॥

श्री पित्तर जी भक्त हितकारी।सुन लीजे प्रभु अरज हमारी॥
निशदिन ध्यान धरे जो कोई।ता सम भक्त और नहीं कोई॥

तुम अनाथ के नाथ सहाई।दीनन के हो तुम सदा सहाई॥
चारिक वेद प्रभु के साखी।तुम भक्तन की लज्जा राखी॥

नाम तुम्हारो लेत जो कोई।ता सम धन्य और नहीं कोई॥
जो तुम्हारे नित पाँव पलोटत।नवों सिद्धि चरणा में लोटत॥

सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी।जो तुम पे जावे बलिहारी॥
जो तुम्हारे चरणा चित्त लावे।ताकी मुक्ति अवसी हो जावे॥

सत्य भजन तुम्हारो जो गावे।सो निश्चय चारों फल पावे॥
तुमहिं देव कुलदेव हमारे।तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे॥

सत्य आस मन में जो होई।मनवांछित फल पावें सोई॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई।शेष सहस्र मुख सके न गाई॥

मैं अतिदीन मलीन दुखारी।करहु कौन विधि विनय तुम्हारी॥
अब पित्तर जी दया दीन पर कीजै।अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै॥

॥ दोहा ॥
पित्तरौं को स्थान दो,तीरथ और स्वयं ग्राम।
श्रद्धा सुमन चढ़ें वहां,पूरण हो सब काम॥

झुंझुनू धाम विराजे हैं,पित्तर हमारे महान।
दर्शन से जीवन सफल हो,पूजे सकल जहान॥

जीवन सफल जो चाहिए,चले झुंझुनू धाम।
पित्तर चरण की धूल ले,हो जीवन सफल महान॥

Pitar Chalisa

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