नवरात्रि के चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है, जिन्हें सृष्टि की रचनाकार और सौम्यता का प्रतीक माना जाता है। कूष्मांडा देवी को उनके मुस्कान से अंड (ब्रह्मांड) की उत्पत्ति करने वाली शक्ति के रूप में जाना जाता है। इनकी उपासना से भक्तों को लंबी आयु, समृद्धि, स्वास्थ्य, और उन्नति का वरदान मिलता है।

नवरात्रि माता कूष्मांडा का स्वरूप:

नवरात्रि माता कूष्मांडा का स्वरूप आठ भुजाओं वाला होता है, इसीलिए इन्हें “अष्टभुजा देवी” भी कहा जाता है। उनके हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जपमाला होती है। इनका वाहन सिंह है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।

पूजा-विधि:

माता कूष्मांडा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। इस दिन पूजा करते समय निम्न विधि अपनाई जाती है:

  1. स्नान और शुद्धि: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें। पूजा स्थान को स्वच्छ करें।
  2. मां कूष्मांडा का आवाहन: सबसे पहले देवी का ध्यान करते हुए धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें। ध्यान करते समय उनका ध्यान उनकी मुस्कान और सौम्यता पर केंद्रित करें।
  3. पंचोपचार पूजा: माता को पंचोपचार (गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप) से पूजन करें।
  4. मंत्र जाप: उनके मंत्रों का जाप करें। माता को प्रसन्न करने के लिए विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए:
  • ध्यान मंत्र: सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
  • बीज मंत्र:
    ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्माण्डायै नमः।
  1. नैवेद्य अर्पण: देवी को भोग अर्पित करें। इस दिन माता को हलवा, फल, या दूध से बनी मिठाई अर्पित की जाती है। इसमें विशेष रूप से मालपुआ और पंचामृत का भोग उत्तम माना जाता है। मालपुआ अर्पण करने से बुद्धि और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।
  2. आरती: माता की आरती करें और हाथ जोड़कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। माता की स्तुति और भजन गाएं।
  3. प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद को सभी भक्तों में बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।

नवरात्रि माता कूष्मांडा का मंत्र:

माता कूष्मांडा का जाप करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। निम्न मंत्र का जाप करें:

ॐ देवी कूष्मांडायै नमः।

यह मंत्र कम से कम 108 बार जपना चाहिए। यदि संभव हो तो मंत्र जाप के साथ दीप जलाकर पूजा करें।

शुभ रंग:

नवरात्रि के चौथे दिन हरा रंग शुभ माना जाता है। इस दिन हरे रंग के वस्त्र धारण करना या पूजा में हरे रंग का कपड़ा इस्तेमाल करना विशेष फलदायी होता है। हरा रंग जीवन में उन्नति, समृद्धि, और स्वास्थ्य का प्रतीक है।

नवरात्रि

माता कूष्मांडा की महिमा:

माता कूष्मांडा सृष्टि की रचयिता मानी जाती हैं। कहते हैं कि जब संसार में कुछ भी नहीं था, तब देवी कूष्मांडा ने अपनी हल्की मुस्कान के द्वारा ब्रह्मांड की रचना की। इनकी उपासना से हमारे सभी प्रकार के कष्ट, रोग, और शोक समाप्त होते हैं। विशेष रूप से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए माता की पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है। उनकी कृपा से जीवन में उत्साह और सकारात्मकता आती है।

नवरात्रि के चौथे दिन क्या करें और क्या न करें:

क्या करें:

  1. माता की पूजा करें: इस दिन मां कूष्मांडा की विशेष पूजा करें। शुद्ध मन और श्रद्धा से पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है।
  2. हरे रंग के वस्त्र पहनें: हरे रंग के वस्त्र पहनने से माता का विशेष आशीर्वाद मिलता है।
  3. दान करें: जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, या धन का दान करें। इससे माता की कृपा बनी रहती है।
  4. सात्विक भोजन ग्रहण करें: इस दिन हल्के और सात्विक भोजन का सेवन करें, जैसे फल, दूध, और अनाज।
  5. मंत्र जाप: माता का विशेष मंत्र “ॐ देवी कूष्मांडायै नमः” का जाप करें। इस मंत्र के 108 बार जाप से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
  6. ध्यान और योग: शांति और सुख की प्राप्ति के लिए ध्यान और योग करें। इससे मन की शांति और मानसिक शुद्धता प्राप्त होती है।
  7. भक्ति संगीत: माता की स्तुति में भजन और कीर्तन का आयोजन करें। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

क्या न करें:

  1. अनादर न करें: पूजा के समय किसी भी प्रकार की अशुद्धता या लापरवाही न बरतें। माता की पूजा में अपवित्रता से बचें।
  2. क्रोध और द्वेष से बचें: इस दिन क्रोध, अहंकार, और द्वेष जैसी नकारात्मक भावनाओं से दूर रहें। माता की कृपा पाने के लिए मन और विचारों को शुद्ध रखें।
  3. मांस-मदिरा का सेवन न करें: नवरात्रि के इस पावन पर्व पर मांस-मदिरा और तामसिक भोजन से दूर रहें। यह न केवल आध्यात्मिक रूप से हानिकारक है, बल्कि माता की कृपा से वंचित भी कर सकता है।
  4. आलस्य से बचें: आलस्य को त्यागकर पूजा-पाठ और सेवा में तत्पर रहें। माता की पूजा में संपूर्ण श्रद्धा और निष्ठा से भाग लें।
  5. झूठ न बोलें: इस दिन सत्य और ईमानदारी के मार्ग पर चलें। झूठ बोलने से बचें, क्योंकि यह आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में बाधा डालता है।

निष्कर्ष:

माता कूष्मांडा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन बेहद महत्वपूर्ण होती है। उनकी उपासना से व्यक्ति के जीवन में रोग, भय और कष्टों का नाश होता है। माता की कृपा से साधक को समृद्धि, यश, और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। उनका सान्निध्य हमारे जीवन में नई ऊर्जा और उमंग का संचार करता है।

चंद्रघंटा

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