इस दिन मनाई जाएगी हरियाली तीज
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 18 अगस्त को रात 08 बजकर 01 मिनट पर होगी. वहीं इसका समापन अगले दिन 19 अगस्त को रात 10 बजकर 19 मिनट पर होगा. इसलिए उदया तिथि के अनुसार हरियाली तीज 19 अगस्त को मनाई जाएगी.
सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का व्रत पर्व मनाया जाता है। इस व्रत की कथा में यह रहस्य बताया गया है कि क्यों और कैसे इस व्रत की परंपरा शुरू हुई और किसलिए यह व्रत सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं में खूब प्रचलित है। शिवजी ने देवी पार्वती को जो बताया था हरियाली तीज के बारे में आप भी जानिए।
सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का व्रत पर्व मनाया जाता है। हरियाली तीज का त्योहार सुहागन महिलाओं के लिए विशेष महत्वपूर्ण होता है। इस पर्व का संबंध भगवान शिव और देवी पार्वती से है। मान्यता है कि देवी पार्वती की तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए थे और इसी दिन ही माता पार्वती को उनके पूर्व जन्म की कथा भी सुनाई थी। इसलिए इस व्रत का संबंध शिव पार्वती के मिलन से है। आइए जानें हरियाली तीज की पौराणिक कथा में क्या कहा गाय है।
हरियाली तीज की पौराणिक कथा
हरियाली तीज से जुड़ी एक कथा बहुत प्रचलित है। एक समय की बात है माता पार्वती अपने पूर्वजन्म के बारे में याद करना चहती थीं लेकिन उन्हें कुछ याद नहीं आ रहा था। ऐसे में भोलेनाथ देवी पार्वती से कहते हैं कि हे पार्वती! तुमने मुझे प्राप्त करने के लिए 107 बार जन्म लिया था लेकिन तुम मुझे पति रूप में न पा सकीं। लेकिन 108वें जन्म में तुमने पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया और मुझे वर रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की।
नारद आए विवाह का प्रस्ताव लेकर
भगवान शिव कहते हैं कि हे पार्वती! तुमने अन्न-जल का त्यागकर पत्ते खाए और सर्दी-गर्मी एवं बरसात में हजारों कष्टकर सहकर भी अपने व्रत में लीन रही। तुम्हारे कष्टों को देखकर तुम्हारे पिताजी बहुत दुखी थे, तब नारद मुनि तुम्हारे घर पधारे और कहा कि मुझे भगवान विष्णु ने भेजा है। भगवान विष्णु आपकी कन्या से अत्यंत प्रसन्न हैं और वह उनसे विवाह करना चाहते हैं, मैं भगवान विष्णु का यही संदेश लेकर आपके पास आया हूं।
शिव भक्ति में लीन पार्वती हुईं गुम
नारदजी के प्रस्ताव को सुनकर पार्वती के पिता खुशी से भगवान विष्णु के साथ विवाह के लिए तैयार हो गए। नारदमुनि ने भी भगवान विष्णु को यह शुभ संदेश सुना दिया। लेकिन जब यह बात पार्वती को पता चली तब वह बहुत दुखी हुईं। पार्वती ने अपने मन की बात अपनी सखी को सुनाई। तब सखी ने माता पार्वती को घने जंगल में छुपा दिया। जब पार्वती के गायब होने की खबर हिमालय को पता चली तब उन्होंने खोजने में धरती-पाताल एक कर दिया लेकिन पार्वती का कहीं पता नहीं चला। क्योंकि देवी पार्वती तो जंगल में एक गुफा के अंदर रेत से शिवलिंग बनाकर शिवजी की पूजा कर रही थी।
शिवजी ने बताया पार्वती से विवाह का रहस्य
शिवजी ने कहा, हे पार्वती! इस प्रकार तुम्हारी पूजा से मैं बहुत प्रसन्न हुआ और तुम्हारी मनोकामना पूरी की। जब हिमालयराज गुफा में पहुंचे तब तुमने अपने पिता को बताया कि मैंने शिवजी को पतिरूप में चयन कर लिया और उन्होंने मेरी मनोकामना पूरी कर दी है। शिवजी ने मेरा वरण कर लिया है। मैं आपके साथ केवल एक शर्त पर चलूंगी कि आप मेरा विवाह भोलेनाथ से करवाने के लिए तैयार हो जाएं। तब हे पार्वती! तुम्हारे पिताजी मान गए और विधि-विधान सहित हमारा विवाह हुआ। हे पार्वती! तुम्हारे कठोर तप और व्रत से ही हमारा विवाह हो सका।
हरियाली तीज की परंपरा ऐसे शुरू हुई
भगवान शिव देवी पार्वती से कहते हैं, हे पार्वती! इस हरियाली तीज को जो भी निष्ठा के साथ करेगा, मैं उसको मनोवांधित फल प्रदान करूंगा। उसे तुम जैसा सुहाग मिलेगा। तबसे कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना हेतु यह व्रत रखती है। वहीं सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को रखती हैं। भविष्य पुराण में देवी पार्वती ने खुद बताया है कि हरियाली तीज का व्रत करने पर महिलाओं को सुहाग और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। सावन महीने में तृतीया तिथि के दिन कई वर्षों की कठिन तपस्या के बाद देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने का वरदान प्राप्त किया था इसलिए इस व्रत का बड़ा ही महत्व है।
हरियाली तीज का महत्व
हरियाली तीज आमतौर पर नाग पंचमी के दो दिन पूर्व यानी श्रावण मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, यह वह दिन है जब देवी ने शिव की तपस्या में 107 जन्म बिताने के बाद पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। सुखी वैवाहिक जीवन के साथ ही घर में सुख शांति समृद्धि की प्रार्थना करती हैं। साथ ही इस दिन हरे रंग के कपड़े पहनने का विशेष महत्व है। इस दिन महिलाओं के बीच झूला झूलने का भी प्रचलन है। साथ ही महिलाएं तीज के गीत गाती हैं।
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हरियाली तीज की पूजा विधि
हरियाली तीज का व्रत रखने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए और साफ- सुथरे कपड़े पहनकर भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करना चाहिए. इसके बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इस दिन बालू के भगवान शंकर व माता पार्वती की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है. चौकी पर प्रतिमा स्थापित करने के बाद माता को श्रृंगार का सामान अर्पित करें.
भगवान शिव, माता पार्वती का आवाह्न करें. माता-पार्वती, शिव जी और उनके साथ गणेश जी की पूजा करें. शिव जी को वस्त्र अर्पित करें. इस दिन हरियाली तीज की कथा सुनना शुभ माना जाता है.