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KARMASU

हनुमान मंदिर

यहाँ पर हनुमान जी ने ऋषि मणि राम दास जी को दिए थे दर्शन

हनुमान मंदिर पवित्र शहर ऋषिकेश में अनेक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है। ऐसा ही प्राचीन और धार्मिक मंदिर है ऋषिकेश में राम झूला पर स्थित हनुमान मंदिर। इस मंदिर को मनोकामना पूर्ण हनुमान मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि भगवान हनुमान जी यहाँ पर आने वाले सभी भक्तों की कामनाओं को पूर्ण करते है। इस मंदिर में रोज संध्या काल के समय भजन कीर्तन का आयोजन किया जाता है। मंगलवार और शनिवार को इस मंदिर में भक्तों की भीड़ ज्यादा रहती है। साथ ही इन दिनों में विशेष पूजा अर्चना भी की जाती है।

हनुमान मंदिर
हनुमान मंदिर

मंदिर का इतिहास

हनुमान मंदिर के इतिहास के विषय में कोई प्रामाणिक उल्लेख नहीं है। परन्तु प्राचीन मंदिर होने के कारण इस मंदिर के पीछे पौराणिक कथाये आज भी चली आ रही है। जिसके अनुसार इस मंदिर में ऋषि मणि राम दास जी ने कठोर तपस्या की थी। उनकी इस घोर तपस्या से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने राम दास जी यहीं पर दर्शन दिए थे। उसके बाद ऋषि मणि राम दास जी ने इसी स्थान पर हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना की और मंदिर का निर्माण भी किया। तभी से यह प्राचीन मंदिर हनुमान मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।

मंदिर का महत्व

हनुमान मंदिर के लिए भक्तों में विशेष आस्था है। इस प्राचीन मंदिर में सभी भक्त अपनी मनोकामना लेकर दरबार में आते है। और जब उनकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है तो यहाँ पर दोबारा आकर नारियल और चुनरी चढ़ाते है। ऐसा माना जाता है कि भगवान के इस दरबार में सभी इच्छाएं पूरी होती है। हनुमान जी के दर्शन से सभी कष्ट दूर हो जाते है। भक्तों को मंदिर में दर्शन कर परम शांति का अनुभव होता है।

मंदिर की वास्तुकला

मंदिर के वास्तुकला की बात करें तो यह मंदिर अति प्राचीन होने के कारण प्राचीन कला को दर्शाता है। यह मंदिर अन्य मंदिरों की भांति ही बना हुआ है परन्तु भक्तों के लिए विशेष आस्था को संजोये हुए है। हनुमान मंदिर के मुख्य मंदिर में हनुमान जी की प्राचीन मूर्ति विराजित है। हनुमान जी के साथ भगवान राम और माता सीता कि भी मूर्ति यहाँ पर स्थापित है। इस मंदिर में भक्तो को हनुमान जी के साथ साथ भगवान भोलेनाथ के भी दर्शन होते है।

मंदिर का समय

हनुमान मंदिर खुलने का समय

05:00 AM – 08:00 PM

संध्या काल आरती

07:00 PM – 07:30 PM

मंदिर का प्रसाद

हनुमान मंदिर में फल, मिठाई, चना चिरोंजी, गुड़ और रोट का भोग लगाया जाता है।

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