भगवान श्रीराम वनवासी स्वरूप में हैं विराजमान
राम जनार्दन मंदिर भारत के मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में बना हुआ है। अंकपात क्षेत्र में स्थित राम जनार्दन मंदिर का निर्माण 17वीं शताब्दी में हुआ था। इसमें श्री राम और जनार्दन (विष्णु) का मंदिर हैं। इसमें भगवान के वनवासी स्वरूप के दर्शन होते हैं। भगवान की दाड़ी-मूछ है और माता सीता के हाथ में पौधों को पानी देने वाली झारी और दूसरे हाथ में चवर दिखाई देती हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि यह स्थान एक प्राचीन मंदिर स्थल रहा है क्योंकि यहां स्थापित कई प्रतिमाएं दसवीं और बारहवीं शताब्दी की हैं। इससे इस स्थल को परमारों के काल का माना जाना चाहिए।
मंदिर का इतिहास
राम जनार्दन मंदिर का निर्माण सत्रहवीं शताब्दी में मिर्जा राजा जयसिंह ने करवाया था, मंदिर का रथाकार निर्माण आकर्षक है। अठारहवीं शताब्दी में मराठा राजाओं ने मंदिरों में कुछ संरचनाएं जोड़ीं। मंदिरों की दीवारों पर लगी भव्य तस्वीरें मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगा देती हैं। इन शानदार मंदिरों में कुछ अद्भुत मूर्तियां भी हैं जो 11वीं और 12वीं शताब्दी की हैं। गोवर्धनधारी कृष्ण, ब्रह्मा, विष्णु और महेश की छवि उनकी स्थापत्य भव्यता और मूर्तिकला उत्कृष्टता के लिए बहुत प्रभावशाली हैं।
मंदिर का महत्व
राम जनार्दन मंदिर में श्रीराम की सांवले रंग के पत्थर की प्रतिमा है। यह देश में दूसरा ऐसा मंदिर है जहां काले रंग में राम जी की मूर्ति है, एक प्रतिमा नासिक के राम मंदिर में है। – होल्कर राजवंश की महारानी अहिल्यादेवी ने राम जनार्दन मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
मंदिर की वास्तुकला
मराठा शैली में राम और कृष्ण के जीवन के दृश्यों को दर्शाने वाली पेंटिंग हैं। यह मराठा कला का एक सुंदर उदाहरण है। मराठा शासन के दौरान ही उज्जैन पूना और कांगड़ा शैली के चित्रकारों का मिलन स्थल बन गया। चित्रकला की दो अलग-अलग शैलियों का प्रभाव विशिष्ट है।
मंदिर का समय
मंदिर खुलने का समय
06:00 AM – 08:00 PM
सुबह की आरती का समय
06:00 AM – 06:30 AM
संध्या आरती का समय
07:00 PM – 07:30 PM
मंदिर का प्रसाद
राम जनार्दन मंदिर में भक्त श्रद्धा के अनुसार दूध की बनी बर्फी, बूंदी के लड्डू चढ़ाते हैं। श्रद्धालु प्रभु को फल के साथ पूड़ी-खीर का भी भोग लगाते हैं।