भगवान विष्णु के अवतार श्री राम ने आजीवन एक ही पत्नी धारण करने का व्रत लिया था जिसके चलते उनकी एक ही पत्नी थी लेकिन द्वापर युग में श्रीकृष्ण की 16 हजार पत्नियां हुईं और 8 पटरानियां थी, जबकि वे राधा से प्रेम करते थे लेकिन उन्होंने राधा से शादी नहीं की.
श्रीमदभागवत की कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने राजा नरकासुर का वध किया था जिसके बाद उसके कैद से 16 हजार स्त्रियां आजाद हुई थीं और श्रीकृष्ण ने उन सभी के साथ विवाह किया था.
लेकिन उन्होंने हजारों से स्त्रियों से विवाह क्यों किया था इसके पीछे की कथा को बहुत कम लोग ही जानते हैं.
चलिए हम आपको बताते हैं उस कथा के बारे में.
श्रीराम ने लिया था आजीवन एक पत्नी का व्रत
आनंद रामायण के मुताबिक राम राज्य स्थापित होने के बाद एक दिन जब भगवान श्री राम अपने महल में थे, तब उनसे मिलने के लिए महर्षि वेदव्यास अपने शिष्यों के साथ पहुंचे. बातों ही बातों ने श्री राम ने उन्हें ये बताया कि उन्होनें एक पत्नी धारण करने का व्रत लिया है इसलिए सीता को छोड़कर सभी स्त्रियां उनके लिए माता कौशल्या के समान हैं.
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श्री राम की इस बात को सुनकर वेदव्यासजी ने कहा कि आपने इस जन्म में एक पत्नी का व्रत लिया है तो इसके प्रभाव से जब आप द्वापर युग में श्रीकृष्ण के रुप में जन्म लेंगे तब आपकी बहुत सारी पत्नियां होंगी. उन्होंने कहा कि इसके लिए आपको सीता के वजन के बराबर सोने की 16 मूर्तियां बनवाकर सरयू नदी के तट पर ब्राह्मणों को दान करना चाहिए.
श्रीराम ने जब मूर्तियां बनवाकर दान किया तब उन मूर्तियों को लेते समय ब्राह्मणों ने श्री राम को वरदान दिया कि इस दान का आपको हजार गुना फल मिलेगा यानी अगले जन्म में आपकी 16 हज़ार पत्नियां होंगी.
16 हजार स्त्रियों ने श्रीराम से विवाह की जताई थी इच्छा
रामायण की एक कथा के अनुसार एक समय श्री राम अपनी सेना के साथ शिकार पर गए तो उन्हें जंगल में एक गुफा दिखाई दी. जिसपर एक बहुत बड़ा पत्थर रखा हुआ था और उसे हटाना किसी के बस की बात नहीं थी, लेकिन श्री राम ने उस पत्थर एक ही प्रयास में हटा दिया.
पत्थर हटाते ही उन्होंने देखा कि उस गुफा में चार स्त्रियां तपस्या कर रही थीं और उनके शरीर का मांस तपस्या के कारण गल चुका था. लेकिन जब श्री राम ने उन स्त्रियों को स्पर्श किया तो वो पहले की तरह सुंदर बन गईं.
जब श्री राम ने उन स्त्रियों से पूछा कि वो कौन हैं तो उन्होंने बताया कि दुंदुभी नाम के दैत्य ने उन चारों के साथ अन्य 16 हजार स्त्रियों को इस गुफा में बंदी बनाया हुआ है. तब श्री राम ने उन्हें बताया कि दुंदुभी को बालि ने मार दिया है. इस बात को सुनकर स्त्रियां बेहद खुश हुईं तब श्री राम ने उनसे वरदान मांगने के लिए कहा जिसके बाद उन स्त्रियों ने श्री राम से गंधर्व विवाह करने की इच्छा जाहिर की.
उन स्त्रियों की इस इच्छा को सुनकर श्री राम ने कहा कि उन्होंने इस जन्म में एक पत्नी का व्रत लिया है. लेकिन वो अपने कृष्ण जन्म में उन चारों के साथ विवाह करेंगे. ये सुनकर जब उन 16 हजार स्त्रियों ने भी श्री राम से विवाह की इच्छा जाहिर की तो श्री राम ने कहा कि द्वापर युग में दुंदुभी दैत्य नरकासुर के नाम से जन्म लेगा और उस जन्म में भी तुम सभी को कैद करेगा. तब मैं कृष्ण के अवतार में उसका वध करके तुम सभी से विवाह करुंगा.
गौरतलब है त्रेता युग में श्री राम द्वारा लिए गए एक पत्नी व्रत और 16 हजार महिलाओं से अगले जन्म में विवाह करने के दिए हुए वचन के चलते ही द्वापर युग में श्रीकृष्ण की 16 हजार पत्नियां हुईं.
नरकासुर के वध के उपलक्ष्य में ही मनाई जाती है ‘नरक चतुर्दशी’
भगवान कृष्ण ने जिस दिन पत्नी सत्यभामा की सहायता से नरकासुर का संहार कर 16 हजार लड़कियों को कैद से आजाद करवाया था। इस उपलक्ष्य में दिवाली के एक दिन पहले ‘नरक चतुर्दशी’ मनाई जाती है।