रामभक्त हनुमान को कई नामों से जाना जाता है, जैसे मारुति नंदन, पवनपुत्र व संकटमोचन आदि। माना जाता है कि वह भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार थे और उनके जन्म का उल्लेख कई पौराणिक कथाओं में मिलता है। इस कहानी में हम हनुमान जी के जन्म से जुड़ी ऐसी ही एक प्रचलित कथा बता रहे हैं।
इस हवन के बाद पंडित ने राजा दशरथ की तीनों रानियों को फल दिए, जिन्हें खाने से उन्हें पुत्र प्राप्ति हुई थी। इन्हीं फलों में से एक छोटा-सा अंश एक पक्षी उठाकर ले गया, जिसे उसने बाद में माता अंजनी के सामने रख दिया। इस प्रकार भगवान शिव के आशीर्वाद से हुआ था केसरीनंदन हनुमान का जन्म
हनुमान जी के जन्म की कथा बहुत रोचक है। वे माता अंजनी और वानर राज केसरी के पुत्र थे। माना जाता है हनुमान जी जन्म कोई साधारण संयोग नहीं था, बल्कि देवतागण, नक्षत्र और सारे भगवान के आशीर्वाद से पृथ्वी से पाप का विनाश करने के लिए हुआ था। मान्यताओं के अनुसार, माता अंजनी को यह वरदान मिला हुआ था कि उनका होने वाला पुत्र शिव का अंश होगा। इसके अलावा, एक मान्यता यह भी है कि जब बजरंगबली का जन्म हुआ था, उसी समय रावण के घर भी एक पुत्र ने जन्म लिया था। यह संयोग दुनिया में अच्छाई और बुराई का संतुलन बनाए रखने के लिए हुआ था।
बात सतयुग की है, जब माता अंजनी एक जंगल में बैठकर पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान शिव की पूजा कर रही थीं। वह हाथ जोड़कर और आंखें बंद करके आराधना में लीन थी, तभी उनकी सामने रखी कटोरी में एक फल आकर गिरा। माता अंजनी ने जब उस फल को देखा, तो उन्होंने उसे प्रसाद समझ कर सेवन कर लिया।
दरअसल, जब माता अंजनी जंगल में पूजा कर रही थी, तब वहां से दूर अयोध्या में राजा दशरथ भी पुत्र प्राप्ति के लिए शिव-यज्ञ करवा रहे थे। इस हवन के बाद पंडित ने राजा दशरथ की तीनों रानियों को फल दिए, जिन्हें खाने से उन्हें पुत्र प्राप्ति हुई थी। इन्हीं फलों में से एक छोटा-सा अंश एक पक्षी उठाकर ले गया, जिसे उसने बाद में माता अंजनी के सामने रख दिया।
वाल्मीकि रामायण में हनुमान जी के जन्म स्थान का वर्णन
वाल्मीकि रामायण मे किष्किंधाकांड में सबसे पहले हनुमान जी के जन्म और उनके जन्म स्थान का वर्णन मिलता है. प्रसंग यह है कि जब सारे वानर माता सीता की खोज में समुद्र के किनारे पहुंचते हैं तो लंका जाने के लिए समुद्र कौन पार करेगा इसको लेकर सभी संशय में पड़ जाते हैं. जाम्बवंत जी हनुमान जी को समुद्र पार कर लंका जाने के लिए उत्साहित करते हैं और हनुमान जी को उनके दिव्य जन्म की कथा सुनाते हैं. वाल्मीकि रामायण की कथा के अनुसार महावीर हनुमान जी की माता अंजना पहले स्वर्ग में पुंजकस्थली नामक अप्सरा थी, जिन्हें एक शाप (लोकश्रुतिओं के अनुसार ये शाप दुर्वासा ऋषि ने दिया था) की वजह से धरती पर एक वानरी के रुप में जन्म लेना पड़ता है. जो कभी भी अपना रुप एक इंसान की तरह कर सकती थीं