(Sunday vrat katha in hindi ) एक बूढ़ी औरत थी जो सूर्य देवता की पूजा करती थी। हर सुबह मैं अपना घर साफ करती और गाय के गोबर से लिपटी। इसके बाद ही वह खाना बनाती है और खाती थी पूर्णविराम वह अपने पड़ोसी के घर से गोबर इकट्ठा करती थी। पड़ोसी की पत्नी को यह पसंद नहीं था। एक दिन उसने अपनी गाय घर के अंदर बांध दी। अगले दिन बूढ़ी औरत को गोबर नहीं मिला और वह अपना घर नहीं लिप पाई। उसका घर साफ नहीं हो सका था, इसलिए उसने उस दिन भोजन नहीं किया।
सूर्यकवचस्तोत्रम् २ Suryakavachastotram 2
उस रात सूर्य देवता उसके सपनों में आए। उन्होंने उसे एक गाय देने का वचन दिया। अगले दिन उसने अपने घर में एक गाय और बछड़े को पाया। पड़ोसी की पत्नी नहीं है देखा तो वह जल भुन गई। उसने यह भी देखा कि बुढ़िया की गाय तो सोने का गोबर करती है। उसके मन में लालच आ गया और उसने सोने का गोबर उठाकर उसकी जगह साधारण गोबर रख दिया। सूर्य देवता ने यह देख लिया। उन्होंने उस रात नगर में तूफान ला दिया।
बूढ़ी औरत ने गाय को अपने घर के अंदर बांध लिया जिससे सोने का गोबर उसे ही मिल गया। पड़ोसी की पत्नी ने सोने का गोबर देने वाली गाय की बात जाकर राजा को बता दी। राजा ने वह जादुई गाय ले ली और अपने महल पर सोने के गोबर काले करा दिया। रात में सूर्य देवता राजा के सपने में आए और बोले कि वह गाय उन्होंने बूढ़ी औरत को भेज की है। जब राजा जागा तो उसने पाया कि उसके महल से दुर्गंध आ रही है।
उसने देखा तो महल की दीवारों पर किया गया सोने के गोबर का लेप साधारण गोबर के लेप में बदल चुका था। उसे अपने कृत्य पर दुख हुआ और उसने बूढ़ी औरत को वह गाय लौटा दी। उसने पड़ोसी की चालाक पत्नी को दंड भी दिया। उसने यह घोषणा भी करा दी की उसके राज्य में हर कोई रविवार के दिन सूर्य की पूजा करेगा और उपवास रखेगा।