के अनुसार ऐसा अस्त्र है जो विरोधी के हर वार को विफल कर देता था ऐसा अस्त्र जो अभेद और अपना कार्य को पूरा करने के बाद ही वापस आता था । आखिर महाभारत के बाद सुदर्शन का क्या हुआ और अब सुदर्शन चक्र कहां है और भगवान विषणु जी को यह अस्त्त्र कैसे प्राप्त हुआ था।
अखिर भगवान विषणु जी को सुदर्शन चक्र कैसे प्रप्त हुआ
दरअसल सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु का अस्त्र था और इसे उनके ही अवतार धारण कर सकते थे । यह अस्त्र एक साथ कई कार्य कर सकता था इसके निर्माण के पीछे भी कई अलग-अलग मान्यताएं है ।
शिव पुराण के अनुसार एक बार भगवान विषणु कैलाश पर्वत पर चले गए और वहां पहुंचकर वह विधि पूर्वक शिव की तपस्या करने लग गए । श्री विष्णु भगवान ने कई हजार नामों से शिवजी की स्तुति कर तथा प्रत्येक नाम उच्चारण के साथ एक कमल पुष्प शिवज को अर्पण करते थे ।
भगवान विष्णु की उपासना कई वर्षों तक निर्वात चलती रही एक दिन भगवान शिव परमात्मा ने विष्णु की भक्ति की परीक्षा लेनी चाही । भगवान विष्णु हर बार की तरह एक कमल पुष्प शिव को अर्पण करने के लिए लेकर आए तब भगवान शिव ने एक कमल पुष्प कहीं छुपा दिया ।
शिव माया के द्वारा इस घटना का पता भगवान विष्णु को भी नहीं लगा उन्होंने गिनती में एक पुष्प कम पाकर उसकी खोज आरंभ कर दी ।
श्री भगवान विष्णु ने पुरे ब्रह्मांड का भ्रमण कर लिया परंतु उन्हें वह पुष्प नहीं नहीं मिला । तत्पश्चात भगवान विष्णु एक कमल के बदले अपना एक नेत्र उस स्थान अर्पित कर दिया ।
भगवान विष्णु के इस त्याग से खुश होकर भगवान शिव प्रकट हो विष्णु भगवान को सुदर्शान चक्र कि भेट करते है। बोलते है यह चक्र सृष्टि संचालन के कार्य के लिए उपयोग में आएगी ।
अन्य पुराणों के अनुसार यह बताया गया है कि सुदर्शन चक्र का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने सूर्य की अभेद राख से उन्होंने तीन चीजों का निर्माण किया था पहला पुष्पक विमान, त्रिशूल और सुदर्शन चक्र ।
जबकि ऋग्वेद के अनुसार सुदर्शन चक्र का वर्णन अलग ही तरह से किया गया है इसमें सुदर्शन चक्र को समय का चक्र बताया गया है कि वह समय को भी माप सकता था सुदर्शन चक्र से ही भगवान विष्णु ने माता सती के पार्थिव शरीर के 51 हिस्से किए थे महाभारत काल में भी श्री कृष्णा ने शिशु पाल का वध सुदर्शान चक्र से ही किया था ।
महाभारत में जब अर्जुन ने जब जयद्रत को सूरज ढलने से पहले मारने का वचन लिया जब श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से ही सूर्य को ढक लिया था लेकिन इसके बाद सुदर्शन चक्र का कोई भी कोई वर्णन नहीं मिलता ।
आखिर जब श्री कृष्ण ने देह त्याग किया तब सुदर्शान चक्र का क्या हुआ ?
इसका जवाब हमें भविष्य पुराण में मिलता है जिसमें बताया गया है कि सुदर्शन चक्र को भगवान विष्णु या उनके अवतार के सिवा ना ही कोई धारण कर सकता है और न ही कोई चल चला सकता है जब श्री कृष्ण ने देह त्याग किया सुदर्शन चक्र वही धरती में समा गया और भविष्य में जब कल्कि अवतार जन्म लेंगे तब वही सुदर्शन चक्र को दोबारा पृथ्वी गर्भ से ग्रहण करेंगे ।
कलयुग के अंत के समय जब बुराई अपनी चरम पर होगी तब भगवान परशुराम और हनुमान कलकी अवतार में आएंगे और उन्हें प्रशिक्षण देंगे तब युद्ध में कल्कि अवतार सुदर्शन चक्र को धारण कर उसका उपयोग करेंगे जिससे वह बुराई अंत कर देंगे।
परंतु हम ऋग्वेद में बताएं जल चक्र का वर्णन देखें तो सुदर्शन चक्र ऐसा अस्त्र नहीं था जैसा हम समझते हैं । उसमें बताया गया है सुदर्शन चक्र समय के चक्र को कहा गया है । इसी का इस्तेमाल भगवान विष्णु करते हैं समय के अंतराल का उपयोग कर वह किसी बी विरोधी को शक्तिहीन कर देते हैं ।
महाभारत में भी जब श्री कृष्ण ने अर्जुन को विराट रूप दिखाया था तब सुदर्शन चक्र के इस्तेमाल से ही समय को रोक दिया था तब रुके हुए समय में ही श्री कृष्ण अर्जुन को गीता का पूरा ज्ञान दिया था अगर हम ऋग्वेद के ज्ञान से समझें तो सुदर्शन चक्र कोई भौतिक अस्त्र था ही नहीं जो कोई और देख या धारण कर सके यह सृष्टि के संचालक भगवान विष्णु का अवैध गुण है जो हमेशा उनके और उनके अवतारों के साथ रहेगा।
तो दोस्तों कैसे लगी आपको यह पौराणिक कथा Comment box मे कमेंट कर बातायें ।