दोस्तों महाभारत कथा से तो आप भली-भांति परिचित होंगे ही महाभारत युद्ध क्यों और कैसे और किन योद्धाओं में लड़ा गया था यह तो आपको पता ही होगा और भगवान श्री कृष्ण ने किस का साथ दिया था।
लेकिन इसमें कई ऐसे योद्धाओं से जुड़े कई रोचक तथ्य और रहस्य भी हैं। जिन्हें आप को जानना चाहिए ऐसे ही एक पौराणिक कथा (Pauranik Katha, dharmik kahani) अभिमन्यु से भी जुड़ी है इस रोचक कथा के बारे में हम नीचे विस्तारपूर्वक बताएंगे।
अर्जुन और सुभद्रा के पुत्र अभिमन्यु को तो आप लोग जानते ही होंगे की महाभारत युद्ध मे अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हो गए थे। लेकिन बहुत से लोगों के मन में यह प्रश्न अवश्य होता होगा कि आखिर सर्वशक्तिमान श्री कृष्ण ने अपनी ही बहन सुभद्रा के पुत्र अभिमन्यु को क्यों नहीं बचाया था।
जबकि अर्जुन और पांचों पांडवों की युद्ध के अंत तक उनके रक्षा कवच बने रहे थे तो अभिमन्यु को क्यों मर जाने दिया अगर चाहते तो लीलाधारी भगवान श्री कृष्ण अपने सुदर्शन चक्र भेज अभिमन्यु को चक्रव्यूह से बाहर ले आते और अभिमन्यु का वध नहीं हो पाता परंतु श्री कृष्ण ने ऐसा नहीं किया।
इसलिए कारण नहीं बचाया श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु को
कहां जाता है जब भी धरती पर धर्म और सत्य की हानि होने लगे तो भगवान को नियति के अनुसार धरती से अधर्मियों और अत्याचारियों का नाश करना होता है और इस उद्देश्य हेतु भगवान स्वयं धरती पर जन्म लेते हैं और उनके इस उद्देश्य में सहायता हेतु विभिन्न देवी-देवताओं को भी अपने पुत्र को भेज या स्वयं जाकर धरती पर जन्म लेना होता है।
ऐसा ही जब द्वापर युग में भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण अवतार में जन्म लिया था तब ब्रह्मा जी ने और सभी देवी देवताओं को भी श्रीकृष्ण की सहायता हेतु धरती पर जन्म लेने का आदेश दिया था।
किसने किया था ब्रह्मा जी के आदेश का विरोध ?
ब्रह्मा जी के इस आदेश का सभी देवी देवताओं ने स्वागत किया था । परंतु चंद्रमा ने इस आदेश का विरोध किया और अपने पुत्र वरचा को पृथ्वी पर जन्म लेने से इनकार कर दिया।
लेकिन जब सभी देवताओं ने मिलकर चंद्रमा को समझाया कि धर्म की रक्षा करना ही हम देवताओं का परम कर्तव्य और धर्म है । इसलिए हम सभी को ब्रह्मा जी का आदेश का पालन करना है यह हमारा दायित्व और कर्तव्य भी है।
चन्द्रमा के इस शर्त के कारण ही अभिमन्यु को मरना पड़ा
सभी देवताओं के समझाने पर चंद्रमा मान तो गए पर फिर भी उन्होंने एक शर्त भी रख दी कि यदि मेरा पुत्र धरती पर जन्म लेगा तो वह ज्यादा दिनों तक धरती पर नहीं रुकेगा और महाभारत युद्ध में अपना कार्य समाप्त होते ही वह मेरे पास लौट आएगा।
इसके साथ ही वह युद्ध में अपने पराक्रम से बड़े-बड़े महारथियों को भी चकित कर खोर युद्ध लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त होगा और उसके इस अदम्या साहस को युगो युगो तक याद रखा जाएगा।
दोस्तो चंद्रमा पुत्र “वरचा” ही अभिमन्यु थे जिसने धरती पर ब्रह्मा के आदेश का पालन कर श्री कृष्ण की सहायता के लिए जन्म लिया था।
चंद्रमा के शर्त अनुसार ही श्री कृष्ण ने अभिमन्यु की नियति में दखल नहीं दिया और अभिमन्यु महाभारत युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो अपने पिता चंद्रमा के पास चले गए।