भगवान श्री गणेश की पूजा हर पूजा से पहले की जाती है। महिलाएं खासकर अपने पति की लंबी आयु के लिए भगवान श्री गणेश की पूजा जरूर करती है। ऐसी मान्यता हैं कि भगवान श्री गणेश की पूजा करने से पति की लंबी आयु होने के साथ-साथ ससुराल हमेशा खुशियों से भरा रहता हैं। वहां कोई भी दुख-दरिद्रता कभी नहीं आती हैं। तो आइए जाने सुहाग की लंबी आयु देने वाले भगवान श्री गणेश की अद्भुत कहानी।
भगवान श्री गणेश की सुहाग का आशीर्वाद देने वाली कथा
एक समय की बात है एक भाई बहन रहते थे। बहन का नियम था कि वह अपने भाई का चेहरा देखे ही खाना खाती थी। हर रोज वह सुबह उठती थी और जल्दी-जल्दी सारा काम करके अपने भाई का मुंह देखने के लिए उसके घर जाती थी। एक दिन रास्ते में एक पीपल के नीचे गणेश जी की मूर्ति रखी थी। उसने भगवान के सामने हाथ जोड़कर कहा कि मेरे जैसा अमर सुहाग और मेरे जैसा अमर पीहर सबको दीजिए। यह कहकर वह आगे बढ़ जाती थी। जंगल के झाड़ियों के कांटे उसके पैरों में चुभा करते जाते थे।
एक दिन भाई के घर पहुंची और भाई का मुंह देख कर बैठ गई, तो भाभी ने पूछा पैरों में क्या हो गया हैं। यह सुनकर उसने भाभी को जवाब दिया कि रास्ते में जंगल के झाड़ियों के गिरे हुए कांटे पांव में छुप गए हैं। जब वह वापस अपने घर आ जाए तब भाभी ने अपने पति से कहा कि रास्ते को साफ करवा दो, आपकी बहन के पांव में बहुत सारे कांटा चुभ गए हैं। भाई ने तब कुल्हाड़ी लेकर सारी झाड़ियों को काटकर रास्ता साफ कर दिया। जिससे गणेश जी का स्थान भी वहां से हट गया। यह देखकर भगवान गुस्सा हो गए और उसके भाई के प्राण हर लिए।
लोग अंतिम संस्कार के लिए जब भाई को ले जा रहे थे, तब उसकी भाभी रोते हुए लोगों से कहीं थोड़ी देर रुक जाओ, उसकी बहन आने वाली है। वह अपने भाई का मुंह देखे बिना नहीं रह सकती है। उसका यह नियम है। तब लोगों ने कहा आज तो देख लेगी पर कल कैसे देखेगी। रोज दिन की तरह बहन अपने भाई का मुंह देखने के लिए जंगल में निकली। तब जंगल में उसने देखा कि सारा रास्ता साफ किया हुआ है। जब वह आगे बढ़ी तो उसने देखा कि सिद्धिविनायक को भी वहां से हट दिया गया हैं। तब उसने जाने से पहले गणेश जी को एक अच्छे स्थान पर रखकर उन्हें स्थान दिया और हाथ जोड़कर बोली भगवान मेरे जैसा अमर सुहाग और मेरे जैसा अमर पीहर सबको देना और फिर बोलकर आगे निकल गई।
भगवान तब भगवान सोचने लगे अगर इसकी नहीं सुनी तो हमें कौन मानेगा, हमें कौन पूजेगा। तब सिद्धिविनायक ने उसे आवाज दी, बेटी इस खेजड़ी की सात पत्तियां लेकर जा और उसे कच्चे दूध में घोलकर भाई के उपर छींटा मार देना वह उठकर बैठ जाएगा। यह सुनकर जब बहन जब पीछे मुड़ी तो वहां कोई नहीं था। फिर वह यह सोचने लगी कि ठीक है जैसा सुना वैसा कर लेती हूं। फिर वह 7 खेजड़ी की पत्तियां लेकर अपने भाई के घर पहुंची। उसने देखा वहां कई लोग बैठे हुए हैं। भाभी बैठी रो रही और भाई की लाश रखी हैं। तब उसने उस पत्तियों को बताए हुए नियम के तहत भाई के उपर इस्तेमाल किया। तब भाई उठ कर बैठ गया। भाई बोला बहन से बोला मुझे बहुत ही गहरी नींद आ गई थी। तब बहन बोली यह नींद किसी दुश्मन को भी ना आए और उसने सारी बात अपने भाई को बता दी।