पूजा विधि: माँ शैलपुत्री की पूजा विधि और वैदिक प्रमाण

माँ शैलपुत्री, देवी दुर्गा का पहला स्वरूप, नवरात्रि के पहले दिन की पूजा का केंद्र होती हैं। उनकी पूजा से शक्ति, साहस और आत्मविश्वास का संचार होता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम माँ की पूजा विधि को विस्तार से जानेंगे, जिसमें वैदिक प्रमाण और मन्त्र भी शामिल हैं।

माँ शैलपुत्री का महत्व

माँ शैलपुत्री का वर्णन देवी भागवत और नवरात्रि उपासन विधि में मिलता है। इन ग्रंथों में उनका स्वरूप, गुण और भक्ति का महत्व बताया गया है।

पूजा सामग्री (Worship Items)

  1. देवी की प्रतिमा या तस्वीर (Idol or Picture of Goddess)
  2. लाल रंग का वस्त्र (Red Cloth)
  3. फूल (Flowers)
  4. धूप और दीपक (Incense and Lamp)
  5. चंदन (Sandalwood)
  6. नैवेद्य (Fruits and Sweets)
  7. गंगा जल (Ganga Water)
  8. कुमकुम और अक्षत (Kumkum and Rice)

पूजा विधि (Worship Procedure)

  1. स्थान की सफाई: सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें।
  2. आसन बिछाना: चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं और उस पर देवी की प्रतिमा स्थापित करें।
  3. दीपक जलाना: दीपक जलाते समय “ॐ ज्योतिर्मयाय नमः” का जाप करें।
  4. अभिषेक: गंगा जल से माँ का अभिषेक करें। इसके लिए निम्नलिखित मन्त्र का जाप करें:
   ॐ देवी शैलपुत्र्यै च विद्महे
   पार्वती देवि च धीमहि
   तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्
  1. फूल चढ़ाना: हर फूल के साथ “ॐ सर्वमंगल मांगल्ये” का जाप करें।
  2. नैवेद्य अर्पित करना: नैवेद्य अर्पित करते समय “ॐ सर्वस्य मम भूतानां” का जाप करें।
  3. आरती: पूजा के अंत में आरती का पाठ करें:
   ॐ जय माँ शैलपुत्री, जगत जननी माँ,
   संकट हरण करो, सबका करो कल्याण।

वैदिक प्रमाण

माँ शैलपुत्री के प्रति भक्ति और पूजा का महत्व वैदिक शास्त्रों में स्पष्ट है। ये ग्रंथ हमें यह सिखाते हैं कि शक्ति की पूजा से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

माँ शैलपुत्री की पूजा विधि सरल, लेकिन प्रभावी है। इस पूजा से व्यक्ति को मानसिक शांति, शक्ति और समृद्धि प्राप्त होती है। सही विधि और मन्त्रों के साथ की गई पूजा जीवन में सकारात्मक बदलाव लाती है।

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