चांदी लेपित संगमरमर से बनी भगवान कृष्ण की मूर्ति

द्वारकाधीश गोपाल मंदिर भारत के मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित है। द्वारकाधीश गोपाल मंदिर उज्जैन का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। मुख्य मंदिर में चांदी लेपित संगमरमर से बनी भगवान कृष्ण की दो फुट ऊंची मूर्ति है। यहां जन्माष्टमी के अलावा ‘हरिहर का पर्व’ बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हरिहर के समय भगवान महाकाल की सवारी रात बारह बजे आती है, तब यहां हरिहर मिलन अर्थात् विष्णु और शिव का मिलन होता है। जहां पर उस वक्त डेढ़ दो घंटे पूजन चलता है।

पुराणों के अनुसार द्वारकाधीश गोपाल मंदिर लगभग दो सौ वर्ष पुराना है। इतिहासकारों की माने तो इस मंदिर का निर्माण दौलतराव सिंधिया की धर्मपत्नी बैजीबाई शिंदे ने 1844 में कराया था, जिसमें मूर्ति की स्थापना 1852 में की गई थी। मंदिर के आसपास विशाल प्रांगण में सिंहस्थ था जहां पर्व के दौरान बाहर से आने वाले लोग विश्राम करते हैं।

कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी पर जहां देश भर में भक्त कान्‍हा की भक्ति में डूब जाते हैं, वहीं द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में कान्‍हा के जन्‍म के बाद उनकी आरती नहीं उतारने की परंपरा है। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म (जन्माष्टमी) के बाद रोज होने वाली शयन आरती पांच दिनों तक नहीं होती है। मंदिर में पांच दिनों तक कोई भजन पाठ नहीं होता है। क्‍योंकि यह परंपरा करीब 110 सालों से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि यहां जन्म के बाद कान्हा पांच दिनों तक सोते नहीं हैं।

द्वारकाधीश गोपाल मंदिर की वास्तुकला मराठा वास्तुकला का एक सुंदर उदाहरण है। गर्भगृह संगमरमर से जड़ा हुआ है और दरवाजे चांदी से मढ़े हुए हैं। द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में भगवान द्वारकाधीश, शंकर, पार्वती और गरुड़ भगवान की मूर्तियां हैं। ये मूर्तियां अचल है और एक कोने में रानी बैजीबाई की भी ‍मूर्ति है। मंदिर के गर्भगृह में लगा रत्न जड़ित द्वार दौलतराव सिंधिया ने गजनी से प्राप्त किया था, जो सोमनाथ की लूट में वहां पहुंचा था। मंदिर के विशाल स्तम्भ और सुंदर नक्काशी देखने लायक हैं।

मंदिर खुलने का समय

05:00 AM – 08:30 PM

सुबह की आरती का समय

05:00 AM – 06:30 AM

संध्या आरती का समय

08:00 PM – 08:30 PM

द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में दूध, माखन आदि का नियमित भोग लगाया जाता है। भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार श्री कृष्ण को सूजी का हलवा और पंचामृत का भी भोग लगाते हैं।

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