दुर्गा सप्तशती नवरात्रि के पावन अवसर पर दुर्गा सप्तशती का पाठ (Durga Saptashati Paath) विशेष महत्व रखता है। इसे देवी दुर्गा की कृपा पाने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने का सबसे प्रभावी उपाय माना जाता है। दुर्गा सप्तशती के 700 श्लोक देवी महात्म्य को दर्शाते हैं और इसमें माँ दुर्गा की महिमा का वर्णन है। इस पाठ को Vedic शास्त्रों में अत्यंत शुभ और कल्याणकारी माना गया है। नवरात्रि के नौ दिनों में इसे पाठ करने से भक्तों को देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे करें, इसका सही तरीका क्या है, और इसके पीछे का Vedic प्रमाण क्या है।
Vedic प्रमाणों में दुर्गा सप्तशती का महत्व
मार्कण्डेय पुराण में दुर्गा सप्तशती का उल्लेख मिलता है, जिसे चंडी पाठ भी कहा जाता है। Vedic मान्यताओं के अनुसार, सप्तशती का पाठ करने से घर में सुख, समृद्धि, और शांति आती है। देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की महिमा का बखान करने वाले इन श्लोकों में बताया गया है कि कैसे देवी ने राक्षसों का वध कर संसार को विनाश से बचाया।
दुर्गा सप्तशती के 13 अध्यायों में देवी के तीन प्रमुख रूपों—महाकाली, महालक्ष्मी, और महासरस्वती—की स्तुति की जाती है। इसे पढ़ने से जीवन में आने वाली बाधाओं, रोग, और शत्रुओं से छुटकारा मिलता है।
दुर्गा सप्तशती का पाठ करने की विधि
नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इसे पाठ करने की विधि और नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है, ताकि इसका अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके।
सामग्री (Samagri) की सूची:
- देवी दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर
- दुर्गा सप्तशती की पुस्तक
- दीपक, कपूर और अगरबत्ती
- फूल, फल, और मिठाई
- रोली, चंदन, और अक्षत
- नारियल और सुपारी
- साफ वस्त्र और आसन
दुर्गा सप्तशती का पाठ करने की विधि:
- शुद्धि और संकल्प
पाठ शुरू करने से पहले शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखना जरूरी है। स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनकर देवी दुर्गा की मूर्ति के सामने आसन पर बैठें। पाठ करने से पहले संकल्प लें और देवी से अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें। - पूजा स्थल की स्थापना
पूजा के लिए एक पवित्र स्थान पर देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। दीपक जलाएं, अगरबत्ती और कपूर से पूजा स्थल को पवित्र करें। फूल और अक्षत चढ़ाकर देवी का ध्यान करें। - दुर्गा सप्तशती के पाठ की शुरुआत
सप्तशती का पाठ आरंभ करने से पहले गणेश वंदना करें, क्योंकि बिना गणेश जी की पूजा के कोई भी धार्मिक कार्य पूरा नहीं होता। इसके बाद “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र का उच्चारण करके देवी दुर्गा की आराधना करें। - अध्यायों का क्रम
दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय होते हैं, जिन्हें क्रमशः पढ़ना आवश्यक होता है।
- प्रथम चरित्र: इसमें महाकाली के रूप का वर्णन है। यह अध्याय कष्टों से मुक्ति दिलाने के लिए पढ़ा जाता है।
- मध्य चरित्र: इसमें महालक्ष्मी के रूप का बखान है। यह धन, वैभव, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए पढ़ा जाता है।
- उत्तर चरित्र: इसमें महासरस्वती की स्तुति की जाती है। यह ज्ञान और विद्या प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है।
- पाठ के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
- पाठ को सही उच्चारण के साथ, पूरे ध्यान और श्रद्धा से पढ़ें।
- अगर आप संपूर्ण सप्तशती का पाठ नहीं कर सकते, तो आप इसके प्रमुख श्लोकों का पाठ भी कर सकते हैं।
- पाठ के बीच में कोई अवरोध न हो, इसलिए पाठ करने के लिए एकांत और शांत जगह चुनें।
- दुर्गा सप्तशती के पाठ के दौरान कुमकुम, अक्षत और फूल देवी को अर्पित करें।
- हवन और आरती
दुर्गा सप्तशती के पाठ के बाद देवी की आरती करें और हवन करें। हवन में देवी का आह्वान करते हुए मंत्रों का जाप करें। “ॐ दुं दुर्गायै नमः” मंत्र का जाप हवन के दौरान बहुत लाभकारी होता है। - प्रसाद वितरण
अंत में देवी को भोग अर्पित करें और प्रसाद सभी भक्तों में बांटें। कन्याओं को भोजन कराकर देवी का आशीर्वाद प्राप्त करें।
दुर्गा सप्तशती के पाठ के ज्योतिषीय लाभ
दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से ज्योतिषीय दृष्टि से भी कई लाभ प्राप्त होते हैं। विशेष रूप से जिन लोगों की कुंडली में ग्रह दोष हैं, उनके लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ अत्यंत लाभकारी होता है।
- राहु और केतु दोष निवारण
दुर्गा सप्तशती का पाठ राहु और केतु के अशुभ प्रभाव को कम करता है। इससे व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और जीवन में आने वाली बाधाओं से छुटकारा मिलता है। - मंगल दोष
जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष है, उनके लिए यह पाठ विशेष रूप से फायदेमंद होता है। इससे गृहकलह और दुर्घटनाओं से मुक्ति मिलती है। - शत्रु बाधा से मुक्ति
दुर्गा सप्तशती का पाठ शत्रुओं पर विजय दिलाने और सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। देवी दुर्गा की कृपा से शत्रुओं का नाश होता है और व्यक्ति की सुरक्षा होती है। - धन और समृद्धि
सप्तशती का पाठ करने से घर में धन और समृद्धि का वास होता है। देवी लक्ष्मी की कृपा से आर्थिक समस्याओं का निवारण होता है। - संतान सुख
संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपतियों के लिए भी सप्तशती का पाठ अत्यंत फलदायी होता है। यह पाठ संतान सुख का आशीर्वाद देता है।
दुर्गा सप्तशती पाठ के समय ध्यान रखने योग्य बातें
- साफ वस्त्र पहनें और पाठ के दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
- देवी का आह्वान करते समय पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ मंत्रों का उच्चारण करें।
- ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें, पाठ के दौरान किसी भी प्रकार की अव्यवस्था से बचें।
- रोज़ाना पाठ करना सर्वोत्तम है, लेकिन आप इसे कम से कम तीन दिन (सप्तमी, अष्टमी, नवमी) जरूर करें।
निष्कर्ष:
नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ देवी दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे प्रभावी तरीका है। Vedic शास्त्रों के अनुसार, यह पाठ न केवल कष्टों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और शांति भी लाता है। ज्योतिषीय दृष्टि से भी सप्तशती का पाठ ग्रह दोष निवारण और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए अति शुभ माना जाता है। सही विधि से और श्रद्धा के साथ इस पाठ को करने से देवी दुर्गा की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।
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