जानिए, रामायण हमारे शरीर में हर समय होती है घटित

राम नवमी का पर्व भारत में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाती है। हिंदु धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था अत: इस शुभ तिथि को भक्त लोग रामनवमी के रूप में मनाते हैं एवं पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य के भागीदार होते है। आइये अब जानते है श्री राम और रामायण का सार जो हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करता है 

राम नवमी, भगवान श्री राम के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। हर्ष एवं उल्लास के इस पर्व के मनाए जाने का उद्देश्य है – हमारे भीतर “ज्ञान के प्रकाश का उदय”। भगवान राम का जन्म राजा दशरथ और रानी कौशल्या के यहाँ चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में हुआ था।

भगवान राम का अर्थ क्या है ? 

राम का अर्थ है, स्वयं का प्रकाश; स्वयं के भीतर ज्योति। “रवि” शब्द का अर्थ “राम” शब्द का पर्यायवाची है। रवि शब्द में ‘र’ का अर्थ है, प्रकाश और “वि” का अर्थ है, विशेष। इसका अर्थ है, हमारे भीतर का शाश्वत प्रकाश। हमारे ह्रदय का प्रकाश ही राम है। इस प्रकार हमारी आत्मा का प्रकाश ही राम है।

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रामायण का सार

इस कहानी का सार है: हमारा शरीर अयोध्या है, पांच इन्द्रियां और पांच कर्मेन्द्रियाँ इस के राजा हैं। कौशल्या, इस शरीर की रानी है। सभी इन्द्रियां ब्राह्य मुखी हैं और बहुत कुशलता से इन्हें भीतर लाया जा सकता है और ये तभी हो सकता हैं जब भगवन राम, प्रकाश हम में जन्म लें।

भगवान राम का जन्म नवमी के दिन हुआ था (हिन्दू पंचांग के अनुसार नौवां दिन)। मैं इनके महत्व के बारे में किसी और समय बताऊंगा।

जब मन (सीता) अहंकार (रावण) के द्वारा अपहृत हो जाता है, तो दिव्य प्रकाश और सजगता (लक्षमण) के माध्यम भगवन हनुमान (प्राण के प्रतीक) के कंधो पर चढ़कर उसे घर वापस लाया जा सकता है। ये रामायण हमारे शरीर में हर समय घटित होती रहती है।

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