केले के फल, तना और पत्तों को हमारे पूजा विधान में अनेक तरह से उपयोग किया जाता है. इसे शुभ और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. यह भी मान्यता है कि केले

जानें, पूजा में केले और पान के पत्ते का महत्व

हिन्दू धर्म में भगवान की पूजा करते समय नियमों के पालन के साथ ही पूजा सामग्री का उपस्थित होना बेहद महत्वपूर्ण है। इसी पूजा सामग्री में खास वस्तु है केले का पत्ता और पान का पत्ता। आगे की स्लाइड्स पर क्लिक करें और जानें इन दोनों पत्तों का पूजा में महत्व

जानें, पूजा में केले और पान के पत्ते का महत्व

केले का वृक्ष शुभ और संपन्नता का प्रतीक है। यही वजह है कि केले का पौधा, हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना जाता है। कहते हैं केले के वृक्ष में साक्षात भगवान विष्णु का वास होता है। भगवत पूजा में इसका उपयोग करने से भगवान प्रसन्न होते हैं।

जानें, पूजा में केले और पान के पत्ते का महत्व

भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को केले का भोग लगाया जाता है और केले के पत्तों में प्रसाद बांटा जाता है। माना जाता है कि समृद्धि के लिए केले के पेड़ की पूजा अच्छी होती है।

जानें, पूजा में केले और पान के पत्ते का महत्व

गुरुवार को भगवान बृहस्पतिदेव की पूजा में केले का विशेष महत्व है। इतना ही नहीं केले के पत्ते पर भोजन ग्रहण करने वाले को उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

जानें, पूजा में केले और पान के पत्ते का महत्व

केले के पत्तों को घर के प्रवेश द्वार पर शादी विवाह और कथा के दौरान मंडप बनाने के काम में भी लाया जाता है।

जानें, पूजा में केले और पान के पत्ते का महत्व

किसी भी शुभ कार्य से पहले या पूजा पाठ के दौरान पान के पत्ते के जरिये भगवान का नमन किया जाता है।

जानें, पूजा में केले और पान के पत्ते का महत्व

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार पान के एक पत्ते में विभिन्न देवी-देवताओं का वास है। स्कंद पुराण के मुताबिक देवताओं द्वारा समुद्र मंथन के समय पान के पत्ते का प्रयोग किया गया था। यही वजह है कि पूजा में पान के पत्ते के इस्तेमाल का विशेष महत्व है।

जानें, पूजा में केले और पान के पत्ते का महत्व

पूजा में इस्तेमाल होने वाला पान का पत्ता हमेशा सही सलामत रूप में, चमकदार और कहीं से भी सूखा नहीं होना चाहिए। नहीं तो इससे व्यक्ति की पूजा साकार नहीं होती।

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