Saraswati जब सृष्टि का निर्माण हुआ तो हर और अव्यवस्था थी। ब्रह्मा को यह समझ में नहीं आ रहा था कि सृष्टि में व्यवस्था कैसे बनाई जाए। समस्या पर विचार करते समय उन्हें एक आवाज सुनाई पड़ी कि ज्ञान ही सृष्टी में व्यवस्था बनाने में सहायता कर सकता है।

तभी ब्रह्मा के मुख से सरस्वती (Saraswati) की चमत्कारी आकृति प्रकट हुई जो ज्ञान और बुद्धि की देवी थी, श्वेत वस्त्र धारण किए वह हंस पर सवार थी। उसके एक हाथ में पुस्तक और दूसरे में वीणा थी।
विचार, समझ और संवाद के जरिए उन्होंने ब्रह्मा को यह समझाने में सहायता की की किस तरह से सृष्टि में व्यवस्था कायम की जाए।
जब उसने वीणा बजाई तो हल्ला गुल्ला शांत होने लगा सूर्य, चंद्रमा और तारों का जन्म हुआ। समुंद्र भर गए और ऋतु परिवर्तन होने लगा। ब्रह्मा ने प्रसन्न होकर सरस्वती का नाम वाग्देवी रख दिया जिसका अर्थ शब्द और ध्वनि की देवी होता है। इस प्रकार ब्रह्मा, सरस्वती के ज्ञान की बदौलत सृष्टि के रचयिता बन गए।
सरस्वती जी के जन्म की कथा हिंदू धर्म में बहुत प्रसिद्ध है। इस कथा के अनुसार, जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना का कार्य संपन्न कर दिया तो उन्होंने पाया कि सृष्टि में सबकुछ है, लेकिन सब मूक, शांत और नीरस है। तब उन्होंने अपने कमंडल से जल निकाला और छिड़क दिया, जिससे मां सरस्वती वहां पर प्रकट हो गईं। उन्होंने अपने हाथों में वीणा, माला और पुस्तक धारण कर रखा था।
सृष्टि के रचयिता ब्रम्ह देव के 4 सिर क्यों है, जानें इसकी पौराणिक कथा
वीणा से निकलने वाले मधुर स्वर से सृष्टि में ध्वनि का संचार हुआ। माला से निकलने वाले सुगंध से सृष्टि में सुगंध का संचार हुआ। और पुस्तक से निकलने वाले ज्ञान से सृष्टि में ज्ञान का संचार हुआ।
मां सरस्वती को ज्ञान, कला, संगीत, और विद्या की देवी माना जाता है। वे सृष्टि में ज्ञान और कला का प्रसार करती हैं।
मां सरस्वती का जन्म वसंत पंचमी के दिन हुआ था। इसलिए वसंत पंचमी को सरस्वती (saraswati )पूजा का पर्व भी मनाया जाता है। इस दिन लोग मां सरस्वती की पूजा करते हैं और उनसे ज्ञान, कला और सफलता की कामना करते हैं।
सरस्वती जी के जन्म की कुछ अन्य कथाएँ भी प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने सृष्टि का निर्माण किया तो उन्होंने देखा कि सृष्टि में ज्ञान और कला का अभाव है। तब उन्होंने अपने नाभि से एक कमल उत्पन्न किया, जिस पर विराजमान होकर मां सरस्वती प्रकट हुईं।
एक अन्य कथा के अनुसार, जब भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने सृष्टि का निर्माण किया तो उन्होंने देखा कि सृष्टि में ज्ञान और कला का विकास नहीं हो रहा है। तब उन्होंने अपने-अपने तेज से एक शक्ति उत्पन्न की, जिससे मां सरस्वती प्रकट हुईं।
इन सभी कथाओं से स्पष्ट है कि मां सरस्वती ज्ञान, कला और विद्या की देवी हैं। वे सृष्टि में ज्ञान और कला का प्रसार करती हैं।