चैत्र मास की पंचमी तिथि को रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा से होली का त्योहार आरंभ होता है जो कि रंगपंचमी तक मनाया जाता है। रंगपंचमी को श्रीपंचमी और देवपंचमी भी कहा जाना जाता है। इस दिन देवी-देवता भी रंगोत्सव मनाते हैं। रंगपंचमी का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल होलिका दहन 7 मार्च को होगी। इसके अगले दिन यानी 8 मार्च को होली खेली जाएगी। वहीं इसके पांच दिन बाद यानी 12 मार्च को रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाएगा। जानिए रंगपंचमी का शुभ मुहूर्त, महत्व और उपाय। 

रंग पंचमी का महत्व 
रंग पंचमी के दिन एक-दूसरे को गुलाल लगाने का विधान है। इस दिन रंगों से नहीं बल्कि गुलाल से होली खेली जाती है। इस दिन हुरियारे गुलाल उड़ाते हैं। मान्यता है इस दिन इस दिन देवी-देवता भी पृथ्वी पर आकर आम मनुष्य के साथ गुलाल खेलते हैं। इस दिन श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु को पीला रंग अर्पित करना चाहिए। वहीं विशेष प्रकार के पकवान बनाएं और भगवान को भोग लगाने चाहिए।

रंगपंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा 
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रंगपंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राधारानी के साथ होली खेली थी। इसी कारण इस दिन विधि-विधान से राधा-कृष्ण का पूजा करने के बाद गुलाल आदि अर्पित करके खेला जाता है। दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार, होलाष्टक के दिन भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था जिसके कारण देवलोक में सब दुखी थे। लेकिन देवी रति और देवताओं की प्रार्थना पर कामदेव को दोबारा जीवित कर देने का आश्वासन भगवान शिव ने दिया तो सभी देवी-देवता प्रसन्न हो गए और रंगोत्सव मनाने लगे। इसके बाद से ही पंचमी तिथि को रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाने लगा।

सोते समय इन 4 चीजों को रखना होता है बहुत शुभ, जानिए कौन-कौन सी होती हैं ये चीजें

र व्यक्ति अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की इच्छा रखता है। जब व्यक्ति के जीवन में सुख और शांति रहती है तो व्यक्ति के मन में हमेशा ही सकारात्मकता का रहता है। हमारे शास्त्रों में जीवन को खुशहाल और समृद्धिशाली बनाने के लिए कई तरह के उपाय बताए गए हैं जिनका पालन करने पर जीवन में हमेशा ही सुख और शांति रहती है। वास्तु में रात में सोने के दौरान कुछ नियम बनाए गए हैं जिसका पालन करने पर हर व्यक्ति को फायदा जरूर मिलता है।

  • रात्रि में अच्छी नींद और अच्छे विचार के लिए रात सोते समय अपने सिरहने पर पवित्र धार्मिक किताबें रखना चाहिए। इस उपाय से जीवन में खुशहाली आती है। वहीं रात में बुरे सपने कम आते हैं। सोते समय आप अपने सिरहने पर भगवतगीता रखें।
  • जीवन में सकारात्मकता और शांति के लिए सोते समय अपने बिस्तर के पास खुशबूदार फूलों को अपने पास रखना चाहिए। इससे मानसिक तनाव में कमी आती है।
  • रात में सोते समय अगर आपको नींद न आए या फिर डारवने सपने ज्यादा आए तो अपने बिस्तर के पास लोहे का सामान जरूर रखें। इस उपाय से आपके आसपास नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कम होता है। 
  • रात में सोते समय अच्छी नींद के लिए छोटी इलायजी या सौंप को कागज या कपड़े में बांधकर बिस्तर के नीचे रखने ग्रहों से संबंधित दोष खत्म हो जाते हैं। इस उपाय से मन हमेशा प्रसन्न रहता है।

किस दिशा में सिर रखकर सोने से क्या प्रभाव

स्मृति को बढ़ाती है पूर्व दिशा
देवताओं के राजा इंद्र पूर्व दिशा के स्वामी कहे गए हैं। सुबह उठते ही इस दिशा के दर्शन करने से देवेंद्र से अपनी सम्पन्नता के लिए आशीर्वाद लेने के समान पुण्यकार्य है।इस दिशा में सिर करके सोने से स्मृति,एकाग्रता एवं  स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है और मनुष्य का आध्यात्मिकता के प्रति झुकाव बढ़ता है।वास्तु के अनुसार छात्रों को स्मृति में वृद्धि एवं एकाग्रता बढ़ाने के लिए पूर्व दिशा में सिर करके सोना लाभकारी हो सकता है।

पश्चिम दिशा है अनुकूल
जल के अधिपति देवता वरुण पश्चिम दिशा के स्वामी कहे गए हैं जो हमारी आत्मा,आध्यात्मिक भावना एवं विचारों को प्रभावित करते हैं। वास्तु के अनुसार पश्चिम दिशा में सिर करके सोना भी अनुकूल है क्योंकि यह दिशा नाम,प्रसिद्धि,प्रतिष्ठा और समृद्धि को बढ़ाती है।

श्रेष्ठ है दक्षिण दिशा
मृत्यु के देवता यम दक्षिण दिशा के स्वामी हैं, इस दिशा में सिर करके सोना सबसे अच्छा है। वास्तु में कहा गया है कि ‘स्वस्थ आयु चाहने वाले मनुष्य को सदैव अपना सिर दक्षिण में एवं पैर उत्तर दिशा की और करके सोना चाहिए’। इस दिशा की ओर सिर करके सोने से व्यक्ति को धन, ख़ुशी, समृद्धि एवं यश की प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त व्यक्ति गहरी नींद में आराम से सोता है।

कभी नहीं सोए उत्तर दिशा में
धन के अधिपति देवता कुबेर उत्तर दिशा के स्वामी हैं। वास्तु के अनुसार इस दिशा में सिर करके सोने से नींद बाधित होती है जिस कारण सिरदर्द रह सकता है।जो लोग उत्तर की तरफ सिर एवं दक्षिण की तरफ पैर रखकर सोते हैं ऐसे लोग रातभर करवटें बदलते रहेंगे,सुबह उठकर भी आलस्य बना रहेगा।मानसिक बीमारियों की संभावना बढ़ जाएगी अतः वास्तु की मानें तो इस दिशा में सिर करके कभी न सोएं।

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