महागौरी की कथामाता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको गंगा में स्नान करने के लिए कहा। जिस समय माता पार्वती गंगा में स्नान करने गईं, तब देवी का एक स्वरूप श्याम वर्ण के साथ प्रकट हुईं, जो कौशिकी कहलाईं और एक स्वरूप उज्जवल चंद्र के समान प्रकट हुआ, जो महागौरी कहलाईं नवरात्रि के हर दिन माता के अलग रूप की पूजा की जाती है. आठवें दिन मां महागौरी का पूजन होता है. यहां जानिए मां महागौरी का आशीर्वाद पाने के लिए उनके पूजन की विधि, मंत्र और कथा. का आठवां दिन मां महागौरी को समर्पित होता है. महागौरी के तेज से ही सम्पूर्ण विश्व प्रकाशमान होता है. माता महागौरी के पूजन से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और समस्त पापों का नाश होता है. कहा जाता है कि जब माता पार्वती ने महादेव को प्राप्त करने के लिए तपस्या किया, तो उनका रंग काफी काला हो गया था. महादेव ने जब उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया तो उनके रंग को फिर से गौर बना दिया. तब से माता को महागौरी भी कहा जाने लगा. माता महागौरी वृषभ की सवारी करती हैं, उनके चार हाथ हैं. उनके एक हाथ में त्रिशूल है, एक हाथ वरमुद्रा में है, एक हाथ अभय मुद्रा में है और एक हाथ में डमरू है. माता गौरी अपने भक्तों को बल, बुद्धि देने के साथ-साथ नकारात्मकता दूर करती है. जानिए मां महागौरी की पूजा विधि, मंत्र और कथा.
महागौरी की पूजा विधि
सुबह जल्दी स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद कलश पूजन और गणपति समेत सभी देवी देवताओं का पूजन करने के बाद मां महागौरी की पूजा करें. माता को पंचामृत से स्नान कराएं. उन्हें गुड़हल का फूल चढ़ाएं. रोली, कुमकुम, अक्षत, सिंदूर, पान, सुपारी, धूप, दीप, पान, सुपारी, लौंग का जोड़ा, इलायची, बताशा आदि अर्पित करें. माता का शृंगार करके सफेद मिठाई का भोग लगाएं. इसके बाद माता के मंत्रों का जाप करें, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और कथा पढ़ें. इसके बाद आरती करके क्षमा याचना करें.
इन मंत्रों का जाप करें
1. या देवी सर्वभूतेषु महागौरी रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
2. श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बराधरा शुचि:, महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा.
3. ॐ देवी महागौर्यै नम:
मां महागौरी की कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेने के बाद मां पार्वती ने महादेव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. इस दौरान माता हजारों वर्षों तक निराहार रहीं. तप के प्रभाव से माता का शरीर काला पड़ गया. जब महादेव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए तो उन्होंने मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया और माता के शरीर को गंगा के पवित्र जल से कांतिमय बना दिया. इसके बाद माता का रंग एकदम साफ हो गया. तब से माता को महागौरी के रूप में भी जाना जाने लगा.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)