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Yakshini Kavacham:यक्षिणी कवच: यक्षिणी कवच ​​का पाठ करने से यक्षिणी एक बहुत ही सुंदर और दयालु स्त्री के रूप में साधक के सामने प्रकट होती हैं। यह कवच किसी भी यक्षिणी को सिद्ध करने और प्रकट करने में सहायक है। यदि कोई साधक यक्षिणी को सिद्ध करना चाहता है, तो उसे पूजा से 11 दिन पहले यक्षिणी कवच ​​का पाठ करना चाहिए। आठ यक्षिणी की कृपा पाने के लिए यह कवच पूर्णतः लाभकारी माना जाता है।

Yakshini Kavacham
Yakshini Kavacham

यक्षिणी कवच ​​का पाठ करने से साधक को ब्रह्मांड के अनेक सुख प्राप्त होने लगते हैं, यक्षिणी शीघ्र ही प्रकट हो जाती हैं। इस कवच का निरंतर पाठ करने से यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को राजा के समान बना देती हैं, जिससे साधक के जीवन से धन का अभाव, दुख और दरिद्रता दूर होने लगती है और उसे मान-सम्मान और प्रतिष्ठा मिलने लगती है। साधक को समाज में उच्च पद की प्राप्ति होती है और वह सफलता के सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ने लगता है। यदि किसी साधक में आत्मविश्वास की बहुत कमी है,

जिसके कारण वह बहुत सुस्त और आलसी होता जा रहा है। ऐसी स्थिति में यक्षिणी कवचम का पाठ करने के साथ यक्षिणी गुटिका धारण करने से साधक के चेहरे पर चमक, अद्वितीय सौंदर्य और यौवन की प्राप्ति होती है। आजकल हर परिवार से सुख-शांति गायब होती जा रही है, ऐसी स्थिति में यदि परिवार का कोई भी सदस्य यक्षिणी अप्सरा यंत्र को सामने रखकर यक्षिणी कवचम का पाठ करता है तो उसके परिवार में सुख-शांति बनी रहती है, घर में चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है, पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है।

॥ श्री उन्मत्त-भैरव उवाच ॥

श्रृणु कल्याणि ! मद्-वाक्यं, कवचं देव-दुर्लभं ।
यक्षिणी-नायिकानां तु,संक्षेपात् सिद्धि-दायकं ॥

हे कल्याणि ! देवताओं को दुर्लभ, संक्षेप (शीघ्र) में सिद्धि देने वाले,
यक्षिणी आदि नायिकाओं के कवच को सुनो –

ज्ञान-मात्रेण देवशि ! सिद्धिमाप्नोति निश्चितं ।
यक्षिणि स्वयमायाति,

॥ कवच-ज्ञान-मात्रतः ॥

हे देवशि ! इस कवच के ज्ञान-मात्र से यक्षिणी स्वयं आ जाती है और निश्चय
ही सिद्धि मिलती है। सर्वत्र दुर्लभं देवि ! डामरेषु प्रकाशितं । पठनात् धारणान्मर्त्यो,

॥ यक्षिणी-वशमानयेत् ॥

हे देवि ! यह कवच सभी शास्त्रों में दुर्लभ है, केवल डामर-तन्त्रों में
प्रकाशित किया गया है । इसके पाठ और लिखकर धारण करने से यक्षिणी वश में होती है ।

विनियोग :-

ॐ अस्य श्रीयक्षिणी-कवचस्य श्रीगर्ग ऋषिः, गायत्री छन्दः,
श्री अमुकी यक्षिणी देवता, साक्षात् सिद्धि-समृद्धयर्थे पाठे विनियोगः ।

ऋष्यादिन्यासः-

श्रीगर्ग ऋषये नमः शिरसि,
गायत्री छन्दसे नमः मुखे,
श्री अमुकी यक्षिणी देवतायै नमः हृदि,
साक्षात् सिद्धि-समृद्धयर्थे पाठे
विनियोगाय नमः सर्वांगे।

॥ मूल पाठ ॥

शिरो मे यक्षिणी पातु, ललाटं यक्ष-कन्यका ।
मुखं श्री धनदा पातु, कर्णौ मे कुल-नायिका ॥

चक्षुषी वरदा पातु, नासिकां भक्त-वत्सला ।
केशाग्रं पिंगला पातु, धनदा श्रीमहेश्वरी ॥

स्कन्धौ कुलालपा पातु, गलं मे कमलानना ।
किरातिनी सदा पातु, भुज-युग्मं जटेश्वरी ॥

विकृतास्या सदा पातु, महा-वज्र-प्रिया मम ।
अस्त्र-हस्ता पातु नित्यं, पृष्ठमुदर-देशकम् ॥

भेरुण्डा माकरी देवी, हृदयं पातु सर्वदा ।
अलंकारान्विता पातु, मे नितम्ब-स्थलं दया ॥

धार्मिका गुह्यदेशं मे, पाद-युग्मं सुरांगना ।
शून्यागारे सदा पातु, मन्त्र-माता-स्वरुपिणी ॥

निष्कलंका सदा पातु, चाम्बुवत्यखिलं तनुं ।
प्रान्तरे धनदा पातु, निज-बीज-प्रकाशिनी ॥

लक्ष्मी-बीजात्मिका पातु, खड्ग-हस्ता श्मशानके ।
शून्यागारे नदी-तीरे, महा-यक्षेश-कन्यका ॥

पातु मां वरदाख्या मे, सर्वांगं पातु मोहिनी ।
महा-संकट-मध्ये तु, संग्रामे रिपु-सञ्चये ॥

क्रोध-रुपा सदा पातु, महा-देव निषेविका ।
सर्वत्र सर्वदा पातु, भवानी कुल-दायिका ॥

इत्येतत् कवचं देवि ! महा-यक्षिणी-प्रीतिवं ।
अस्यापि स्मरणादेव, राजत्वं लभतेऽचिरात् ॥

पञ्च-वर्ष-सहस्राणि, स्थिरो भवति भू-तले ।
वेद-ज्ञानी सर्व-शास्त्र-वेत्ता भवति निश्चितम् ।
अरण्ये सिद्धिमाप्नोति, महा-कवच-पाठतः ।
यक्षिणी कुल-विद्या च, समायाति सु-सिद्धदा ॥

अणिमा-लघिमा-प्राप्तिः सुख-सिद्धि-फलं लभेत् ।
पठित्वा धारयित्वा च, निर्जनेऽरण्यमन्तरे ॥

स्थित्वा जपेल्लक्ष-मन्त्र मिष्ट-सिद्धिं लभेन्निशि ।
भार्या भवति सा देवी, महा-कवच-पाठतः ॥
ग्रहणादेव सिद्धिः स्यान्, नात्र कार्या विचारणा ॥

॥ इति वृहद् भूत डामरे महातन्त्रे श्रीमदुन्मत्त भैरवी-भैरव सम्वादे यक्षिणी कवच संपूर्ण ॥

Yakshini Kavacham:यक्षिणी कवच के लाभ:

Yakshini Kavacham:यक्षिणी कवच का पाठ करने से यक्षिणी साधक के समक्ष बहुत ही सुन्दर और दयालु स्त्री के रूप में उपस्थित होती हैं। यह कवच किसी भी यक्षिणी को सिद्ध करने और प्रत्यक्ष करने में सहायक है। Yakshini Kavacham यदि कोई साधक यक्षिणी सिद्ध करना चाहता है, तो उसे साधना से 11 दिन पूर्व से ही यक्षिणी कवच का पाठ करना चाहियें।

Venkateswara Ashtottara Shatanama Stotram:श्री वेङ्कटेश्वर शतनामावली स्तोत्रम् Venkateswara

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यह कवच अष्ट यक्षिणी की कृपा प्राप्त करने के लिए पूर्ण लाभकारी माना जाता हैं। इस कवच का पाठ करने से साधक को ब्रह्मांड के अनेक सुखों की प्राप्ति होने लगती हैं, यक्षिणी शीघ्र ही प्रत्यक्ष होती हैं। Yakshini Kavacham इस कवच का नित्य पाठ करने से यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को राजा के समान बना देती हैं, जिससे साधक के जीवन से धन की कमी, दुःख दरिद्रता दूर होने लगते हैं तथा उसे मान सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होने लगती हैं।

साधक को समाज में उच्च स्थान प्राप्त होता हैं और सफलता के सभी क्षेत्रो में उन्नति मिलने लगती हैं। Yakshini Kavacham यदि किसी साधक में आत्मविश्वास की बहुत अधिक कमी हैं, जिसके कारण वह बहुत ही सुस्त और आलसी हो रहा हैं,

ऐसे में यक्षिणी कवच का पाठ करने के साथ यक्षिणी गुटिका धारण करने से साधक के चेहरे पर चमक, अद्वितीय सौंदर्य, यौवन की प्राप्ति होती हैं। आजकल प्रत्येक परिवार से सुख शांति गायब होती जा रही हैं, Yakshini Kavacham ऐसे में यदि परिवार का कोई सदस्य यक्षिणी अप्सरा यंत्र को सामने रखकर यक्षिणी कवच का पाठ करता हैं, तो उसके घर-परिवार में सुख शांति बनी रहती हैं, घर में चारों तरफ सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता हैं, पति-पत्नी में प्रेम बढ़ता है।

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