Why Holi is celebrated

Why Holi is celebrated:होली का त्योहार पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि इस त्योहार की शुरुआत कहां और कैसे से हुई? अगर नहीं, तो हम आपको इस लेख में विस्तार से बताते हैं.

Holi Mythological Story: होली का पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस दिन होलिका दहन (Holika) का आयोजन किया जाता है और इसके अगले दिन लोग रंगों और गुलाल के साथ एक-दूसरे के साथ होली (Holi 2025) खेलते हैं. हर कोई एक-दूसरे पर प्यार के रंग बरसाते हैं. होली के रंगों को प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है.

होली मनाने की पीछे की वजह (Why Holi is celebrated in India)

मथुरा, वृंदावन और अन्य पवित्र स्थलों सहित पूरे ब्रज क्षेत्र में, होली भक्ति और उल्लास के साथ मनाई जाती है. बड़े उत्सवों में वृंदावन की फूलवाली होली और बरसाना की लठमार होली शामिल हैं. Why Holi is celebrated यह उत्सव दो दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत होलिका दहन से होती है जो बुराई को खत्म करने का प्रतीक है. होली को कुछ जगहों पर धुलेंडी के नाम से भी जाना जाता है.

भारत के सबसे बड़े उत्सवों में से एक होली रंगों, उत्साह और कई अन्य चीजों के साथ वसंत ऋतु का प्रतिनिधित्व करने वाला एक आनंदमय त्योहार है. हर साल हम बुराई पर अच्छाई की जीत मनाने के लिए इस दिन को मनाते हैं, Why Holi is celebrated जो मार्च की शुरुआत में फाल्गुन महीने में आता है. हालांकि होली एक प्राचीन हिंदू त्योहार है लेकिन यह लगभग पूरी दुनिया में मनाया जाता है. इस साल रंगों का त्योहार 25 मार्च 2025, सोमवार को मनाया जाएगा.

होली क्यों मनाई जाती है? (Why do we celebrate Holi)

होली एक हिंदू त्योहार है जो प्राचीन काल से मनाया जाता रहा है. होली का त्योहार वसंत ऋतु का स्वागत करने के एक तरीके के रूप में मनाया जाता है, और इसे एक नई शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि होली उत्सव के दौरान लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर आनंद लेते हैं. त्योहार के पहले दिन, प्रतीकात्मक रूप से सभी बुराइयों को जलाने और एक रंगीन और नए भविष्य की शुरुआत करने के लिए अलाव जलाया जाता है.

होली महोत्सव में लोग बहुत से रंग एक-दूसरे पर फेंकते हैं. Why Holi is celebrated धार्मिक अर्थ में ये रंग प्रतीकात्मकता से समृद्ध होते हैं और उनके कई अर्थ भी होते हैं. कुछ लोगों के लिए होली का मतलब खुद को बुराइयों और राक्षसों से साफ करना होता है.

होली बुराई पर धर्म की जीत की कहानियों से गूंजती है. ऐसी ही एक किंवदंती भगवान कृष्ण और राधा के बीच के मधुर बंधन के इर्द-गिर्द घूमती है, जो विविधता के बीच एकता का प्रतीक है. इस पौराणिक कहानी के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने अपनी शरारती भावना से, खेल-खेल में राधा रानी के चेहरे पर रंग लगाया, जिससे होली की परंपरा की शुरुआत हुई.

Why Holi is celebrated एक पौराणिक कथा के अनुसार होली को राजा हिरण्यकशिपु, उनके समर्पित पुत्र प्रहलाद और दुष्ट होलिका की कहानी से जोड़ती है. भगवान विष्णु के प्रति प्रहलाद की अटूट भक्ति के कारण उसके पिता को क्रोध आया, जिसके कारण होलिका ने एक विश्वासघाती योजना बनाई. हालांकि, दैवीय हस्तक्षेप ने बुराई को विफल कर दिया, जिससे होलिका दहन की शुरुआत हुई और अंधकार पर अच्छाई की जीत का स्थायी उत्सव मनाया गया.

होली मनाने के पीछे की कहानी क्या है? (What is the story behind holi)

हिंदू धर्म में बुराई पर अच्छाई की विजय हिरण्यकशिपु की कहानी में बताई जाती है. पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकशिपु एक प्राचीन राजा था जो अमर होने का दावा करता था और भगवान के रूप में पूजे जाने की मांग करता था. Why Holi is celebrated उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु की पूजा करने के प्रति अत्यधिक समर्पित था

इसलिए हिरण्यकशिपु इस बात से क्रोधित था कि उसका पुत्र उसके स्थान पर इस भगवान की पूजा करता था. इससे क्रोधित होकर हिरण्यकशिपु अपने बेटे प्रह्लाद को यातनाएं देता था. ऐसे में एक दिन भगवान विष्णु आधे शेर और आधे मनुष्य के रूप में प्रकट हुए और हिरण्यकशिपु का वध कर दिया. इस तरह, अच्छाई ने बुराई पर विजय पा ली.

होली महोत्सव से जुड़ी एक और पौराणिक कहानी राधा और कृष्ण से जुड़ी है. भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में, श्री कृष्ण को कई लोग सर्वोच्च भगवान के रूप में देखते हैं. ऐसा कहा जाता है Why Holi is celebrated कि कृष्ण का रंग नीला था क्योंकि किंवदंती के अनुसार, जब वह शिशु थे तो उन्होंने एक राक्षस का जहरीला दूध पी लिया था.

कृष्ण को देवी राधा से प्रेम हो गया, लेकिन उन्हें डर था कि उनका नीला रंग देखकर राधा उनसे प्रेम नहीं करेंगी लेकिन राधा ने कृष्ण को अपनी त्वचा को रंग से रंगने की अनुमति दी, जिससे वे एक सच्चे जोड़े बन गए. होली पर लोग कृष्ण और राधा के सम्मान में एक-दूसरे की पर रंग लगाते हैं.

होली की रस्में और परंपराएं (Holi rituals)

Why Holi is celebrated होली केवल उल्लास का एक दिन नहीं है ब्लकि यह परंपराओं और अनुष्ठानों से भरा दो दिवसीय त्योहार है. आइए उन खास उत्सवों के बारे में जानें जो होली को इतना खास बनाते हैं-

होलिका दहन (होलिका जलाना):- यह अनुष्ठान मुख्य होली समारोह से पहले शाम को होता है. होलिका दहन और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक अलाव जलाया जाता है. लोग अलाव के चारों ओर इकट्ठा होते हैं, भक्ति गीत गाते हैं और प्रार्थना करते हैं. इस साल होलिका दहन 24 मार्च 2024 को किया जाएगा.

रंगवाली होली (रंगों का दिन):- यह होली का मुख्य दिन है, जहां रंगों को उछालना और एक-दूसरे को रंग लगाने पर केंद्रित होता है. लोग, युवा और बूढ़े, रंगीन पानी और गुलाल से भरी पिचकारियों से लैस होकर एक साथ आते हैं. Why Holi is celebrated इस साल होली का त्योहार होलिका के अगले दिन यानी 25 मार्च 2024 को बनाया जाएगा.

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