Vivah Panchami:विवाह पंचमी भगवान श्री राम और माता सीता की शादी की सालगिरह के रूप में मनाए जाने वाले एक लोकप्रिय हिंदू त्यौहार है। हिंदू पंचांग के अनुसार, विवाह पंचमी मार्गशीर्ष के महीने के दौरान शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन मनाया जाता है।
किसी भी हिंदू शादी के समान, विवाह पंचमी त्योहार कई दिनों पहले शुरू हो जाया करता है। सभी भक्त पूर्ण अनुग्रह, भक्ति और समर्पण के साथ इस अनुष्ठान का आनंद लेते हैं। विवाह पंचमी उत्सव के दिन भक्त विवाह के मंगल गीत तथा श्री राम भजन का गायन घर एवं मंदिरों में सामूहिक रूप से करते हैं।
विवाह पंचमी के ही दिन वृंदावन के निधिवन में श्री बांके बिहारी जी महाराज का प्राकट्य उत्सव, Vivah Panchami बिहार पंचमी भी मनाया जाता है।
Vivah Panchami:विवाह पंचमी कब है?
पंचांग के अनुसार, 05 दिसंबर 2024 को दोपहर 12:49 पीएम पर मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष कीी पंचमी तिथि शुरुआत होगी और 06 दिसंबर 2024 को दोपहर 12:07 बजे समापन होगा। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 06 दिसंबर को Vivah Panchami विवाह पंचमी मनाई जाएगी। विवाह पंचमी के दिन ध्रुव योग,रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। इससे इस दिन पूजा-आराधना का महत्व कहीं अधिक बढ़ जाता है।
Vivah Panchami:पूजाविधि
Vivah Panchami विवाह पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें।
एक छोटी चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और माता सीता और भगवान राम की प्रतिमा स्थापित करें।
अब उन्हें लाल या पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें। माता सीता को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करेंष
विधि-विधान से पूजा करें और भगवान राम और मां सीता को पीले रंग के फूल अर्पित करें।
प्रतिमा के समक्ष घी का दीपक जलाएं। उन्हें फल,फूल,धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
अंत में माता सीता और प्रभु श्रीराम की आरती उतारें।
दान सामग्री- मैरिड लाइफ को खुशहाल बनाने के लिए विवाह पंचमी के दिन पालकी, कौड़ी, श्रृंगार सामग्री,गरीबों और जरुरतमंदो को कपड़े, अनाज और मिठाई का दान कर सकते हैं।
Vivah Panchami:विवाह पंचमी का महत्व: त्रेता युग में भगवान राम का माता सीता संग विवाह संपन्न हुआ था। विवाह पंचमी के दिन बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ माता सीता और भगवान राम का विवाह वर्षगांठ मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां सीता और भगवान राम की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है। मैरिज में आ रही सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि और खुशियों का आगमन होता है।
विवाह पंचमी कैसे मनाई जाती है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विवाह पंचमी के दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इसलिए विवाह पंचमी को भगवान राम और माता सीता की विवाह वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि यह वही शुभ दिन है जब तुलसीदास जी ने रामचरितमानस को पूरा किया था।
❀ विवाह पंचमी के दिन श्री राम और माता सीता का विवाह अनुष्ठान करें।
❀ माता सीता और राम जी की तस्वीर स्थापित करें और उन्हें माला पहनाएं।
❀ अगर कुंवारी कन्याएं ॐ जानकी वल्लभाय नमः मंत्र का जाप 108 बार करें तो उन्हें राम जी जैसा सुयोग्य वर मिलता है।
❀ इस दिन माता जानकी और राम जी की विवाह कथा सुनने का भी विधान है।
❀ इस अवसर पर मंदिरों में भव्य आयोजन किये जाते हैं। लोग घर पर भी पूजा का आयोजन करते हैं।
Vivah Panchami:विवाह पंचमी के दिन विवाह नहीं किया जाता है
हिन्दू धर्म मैं भगवान राम और माता सीता की जोड़ी आदर्श जोड़ी मानी जाती है। भारतीय समाज में विवाहित महिलाओं को राम-सीता की तरह ही आशीर्वाद दिया जाता है। भगवान राम और माता सीता की कड़ी मेहनत की कहानी आज भी हर किसी को सुनाई जाती है। लेकिन फिर भी इनकी लग्न तिथि पर विवाह करना अशुभ माना जाता है। दरअसल, इसके पीछे का कारण यह है कि विवाह के बाद भगवान राम और माता सीता के जीवन में कई परेशानियां आईं। इन दोनों ने 14 वर्ष वनवास में भी बिताए। इसके अलावा माता सीता को भी अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ा।
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार भगवान राम ने सामाजिक मान्यताओं और अपने निष्पक्ष सिद्धांतों के कारण गर्भवती माता सीता का त्याग कर दिया था। जिसके बाद माता सीता ने अपना आगे का जीवन अकेले ही जंगल में बिताया। उन्होंने अकेले ही अपने बच्चों का पालन-पोषण किया। राम और सीता के वैवाहिक जीवन में इतने संघर्षों को देखते हुए ये लोग यह त्यौहार तो मनाते हैं लेकिन इस दिन अपने बच्चों की शादी नहीं करते हैं। ऐसा इसलिए ताकि उनके बच्चों को उतना कष्ट न सहना पड़े जितना भगवान राम और माता सीता को सहना पड़ा।