
Vishwakarma Jayanti: सनातन धर्म में भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा का विशेष महत्व है। भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मांड का पहला वास्तुकार (आर्किटेक्ट) और शिल्पकार माना जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, इन्होंने भगवान ब्रह्मा के सातवें पुत्र के रूप में ब्रह्मांड के निर्माण में उनकी सहायता की थी। Vishwakarma Jayanti यह पर्व मुख्य रूप से कारीगरों, शिल्पकारों, इंजीनियरों और औद्योगिक मजदूरों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने औजारों और मशीनों की पूजा करके भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह त्योहार उस दिन मनाया जाता है जब सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है, जिसे कन्या संक्रांति भी कहा जाता है।
आइए, जानते हैं विश्वकर्मा पूजा 2025 की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि के बारे में।
Vishwakarma Jayanti 2025 date and auspicious time:विश्वकर्मा पूजा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
विश्वकर्मा पूजा हर साल कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है, जब सूर्य देव सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में गोचर करते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, विश्वकर्मा पूजा 2025 इस दिन मनाई जाएगी:
विश्वकर्मा पूजा 2025 की तिथि: बुधवार, 17 सितंबर 2025
Vishwakarma Jayanti ज्योतिषीय गणना के अनुसार, सूर्य देव 17 सितंबर 2025 को देर रात 01 बजकर 54 मिनट पर (कुछ स्रोतों में 01 बजकर 55 मिनट पर) सिंह राशि से कन्या राशि में गोचर करेंगे। सनातन धर्म में उदया तिथि का मान होता है, इसलिए 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा मनाई जाएगी।
Auspicious time of puja:पूजा के शुभ मुहूर्त
विश्वकर्मा Vishwakarma Jayanti पूजा के दिन कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है, जिनमें पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
• पुण्य काल: सुबह 05 बजकर 36 मिनट से दिन में 11 बजकर 44 मिनट तक
• महा पुण्य काल: सुबह 05 बजकर 36 मिनट से सुबह 07 बजकर 39 मिनट तक (अवधि: 02 घंटे 03 मिनट)
• ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 33 मिनट से सुबह 05 बजकर 20 मिनट तक
• विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 18 मिनट से 03 बजकर 07 मिनट तक
• गोधूलि मुहूर्त: शाम 06 बजकर 24 मिनट से शाम 06 बजकर 47 मिनट तक
• निशिता मुहूर्त: रात 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक
Vishwakarma Puja 2025 Rahukaal Timings:विश्वकर्मा पूजा 2025 राहुकाल का समय
Vishwakarma Jayanti विश्वकर्मा पूजा के दिन राहुकाल का समय दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से 01 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राहुकाल में पूजा या कोई भी शुभ कार्य करने से शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है। इसलिए इस समय से पहले या बाद में पूजा करना चाहिए।
विश्वकर्मा पूजा पर बन रहे शुभ योग
Vishwakarma Jayanti विश्वकर्मा पूजा के दिन शिव और परिघ योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। परिघ योग के बाद शिव योग का संयोग बनेगा, और इसके साथ ही शिववास योग का भी निर्माण होगा। इन शुभ योगों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व (Significance)
सनातन धर्म में भगवान विश्वकर्मा की पूजा का विशेष महत्व है:
• सृष्टि के निर्माता: भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला वास्तुकार और शिल्पकार माना जाता है। Vishwakarma Jayanti उन्होंने ब्रह्मांड के निर्माण में ब्रह्मा जी की सहायता की थी।
• सुख और सौभाग्य: धार्मिक मान्यता है कि शिल्पकार विश्वकर्मा जी की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
• सभी सुखों की प्राप्ति: भगवान विश्वकर्मा की कृपा से जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
• कार्य बाधाओं से मुक्ति: उनकी आराधना करने से काम में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं।
• कार्यस्थल पर सकारात्मक ऊर्जा: ऐसा माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा से कार्यस्थल पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
• व्यापार में तरक्की: उनकी कृपा से कारोबार में तरक्की मिलती है।
• घर-परिवार में खुशहाली: भगवान विश्वकर्मा की पूजा से घर-परिवार में खुशहाली आती है।
•औजारों और मशीनों की पूजा: यह त्योहार कारीगरों, शिल्पकारों, इंजीनियरों और औद्योगिक मजदूरों द्वारा अपने औजारों और मशीनों की पूजा करने के लिए मनाया जाता है, ताकि वे निर्बाध रूप से कार्य कर सकें।
विश्वकर्मा पूजा 2025 पूजन विधि (Puja Vidhi)
भगवान विश्वकर्मा की पूजा विधिपूर्वक करने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है:
1. प्रातःकाल स्नान: पूजा करने से पहले, व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करना चाहिए।
2. सफाई: स्नान के बाद, अपने घर, कार्यस्थल, औजारों और मशीनों की अच्छी तरह से सफाई करें।
3. मूर्ति/चित्र स्थापना: एक चौकी पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
4. पूजन सामग्री अर्पित करें: भगवान को फूल, धूप, दीप, चंदन, फल और प्रसाद अर्पित करें।
5. मंत्र जाप: भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद पाने के लिए उनके मंत्र ‘ॐ विश्वकर्मणे नमः’ का जाप अवश्य करें। मान्यता है कि इस मंत्र का जाप करने से पूजा का फल और अधिक बढ़ जाता है।
6. प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने के बाद, प्रसाद सभी में बांटकर स्वयं भी ग्रहण करें।
निष्कर्ष
Vishwakarma Jayanti विश्वकर्मा पूजा 2025 शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा के प्रति कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन न केवल हमारे औजारों और मशीनों के प्रति आदर भाव जगाता है, बल्कि हमें कार्य में कुशलता, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने में भी मदद करता है। Vishwakarma Jayanti विधि-विधान से पूजा करके हम भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सफलता तथा खुशहाली ला सकते हैं।