Vikram Betaal विक्रम बेताल की कहानी “सबसे अधिक कोमल कौन?” में, बेताल राजा विक्रमादित्य से पूछता है कि सबसे अधिक कोमल कौन है?
राजा विक्रमादित्य को इस सवाल का जवाब देने में बहुत मुश्किल होती है। वह सोचता है कि तन से कोमल कौन है? क्या वह राजकुमारी है जो चांद की रोशनी से भी जल जाती है? या वह राजकुमारी है जो गुलाब के फूल से भी चोट खा जाती है? या वह राजकुमारी है जो किसी की आवाज सुनते ही बेहोश हो जाती है?
बेताल का उड़कर पेड़ पर लौटने और राजा विक्रम का उसे दोबारा पकड़ने का सिलसिला जारी रहता है। इस बार राजा विक्रमादित्य बेताल को फिर से पेड़ से उतारकर ले जाते हैं। रास्ते में बेताल राजा से कहता है, “मार्ग बहुत बड़ा है, चलो मैं तुम्हें एक और कहानी सुनाता हूं, इसे तुम ध्यान से सुनना।” बेताल बताता है..
राजा विक्रमादित्य को यह भी लगता है कि मन से कोमल कौन है? क्या वह राजकुमारी है जो किसी भी कष्ट को सहने के लिए तैयार है? या वह राजकुमारी है जो दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहती है? या वह राजकुमारी है जो हमेशा खुश रहती है?
अंत में, राजा विक्रमादित्य बेताल को जवाब देते हैं कि तीसरी राजकुमारी सबसे अधिक कोमल है। वह सिर्फ तन से नहीं, बल्कि मन से भी कोमल है। वह बिना कुछ किए ही अपने हाथ-पांव पर छाले पड़ने और बेहोश होने जैसी कष्ट सहन कर सकती है। वह दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहती है और हमेशा खुश रहती है।
बेताल राजा विक्रमादित्य के जवाब से खुश होता है और उसे वापस पेड़ पर ले जाता है।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कोमलता सिर्फ तन से नहीं, बल्कि मन से भी होती है। जो व्यक्ति दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहता है और हमेशा खुश रहता है, वह सबसे अधिक कोमल होता है।