Vikram Betaal एक बार की बात है, अयोध्या नगरी में वीरकेतु नाम का एक राजा राज करता था। उसी राज्य में एक साहूकार भी रहता था। धनी साहूकार का नाम था रत्नदत्त। उसकी एक ही सुंदर सी बेटी थी रत्नावती। रत्नावती के लिए कई रिश्ते आए, लेकिन उसने किसी से भी शादी करने के लिए हां नहीं की। इस वजह से उसके पिता काफी परेशान थे। रत्नावती को सिर्फ सुंदर और धनवान नहीं बल्कि बुद्धिमान और बलवान वर चाहिए था।
एक दिन, रत्नावती की मुलाकात एक चोर से हो जाती है। चोर बहुत ही कुशल था। वह किसी भी घर में बिना किसी को जगाए चोरी कर सकता था। रत्नावती को चोर से बहुत लगाव हो गया। वह रोज चोर से मिलने जाती थी। चोर भी रत्नावती से बहुत प्यार करता था।
इधर, नगर में चोरी बढ़ने लगी थी। इस वजह से रत्नदत्त को हर समय यह डर सताता था कि कहीं, उसके घर से चोर सारा धन न लेकर चला जाए।
एक दिन, राजा वीरकेतु नगर में घूम रहे थे। तभी उन्होंने एक घर में चोर को चोरी करते हुए देखा। राजा ने चोर को पकड़ लिया और उसे अपने साथ राजमहल ले गए। चोर को फांसी की सजा सुनाई गई।
रत्नावती को चोर की सजा सुनकर बहुत दुख हुआ। वह चोर से बहुत प्यार करती थी। वह चोर को बचाने के लिए राजा के पास गई। उसने राजा से कहा कि वह चोर से बहुत प्यार करती है और अगर उसे फांसी हो गई, तो वह भी अपने प्राण त्याग देगी।
राजा ने रत्नावती की बात नहीं सुनी और चोर को फांसी दे दी। चोर को फांसी होते ही रत्नावती भी अपने प्राण त्यागने की कोशिश करती है। उसी समय आकाशवाणी होती है। भगवान रत्नावती से कहते हैं, “हे पुत्री! तुम्हारा प्रेम बहुत पवित्र है। तुम्हारे इस प्यार को देखकर हम बहुत खुश हुए हैं। तुम मांगों, जो भी तुम्हें मांगना है।”
यह सुनकर रत्नावती कहती है, “मेरे पिता का कोई बेटा नहीं, आप उन्हें आशीर्वाद दें कि उनके सौ पुत्र हो जाएं।”
एक बार फिर, आकाशवाणी होती है, “ऐसा ही होगा, लेकिन तुम कुछ और भी वरदान मांग सकती हो।”
फिर रत्नावती कहती है, “मैं उस चोर से बेहद प्यार करती हूं, अगर हो सके तो आप उन्हें जीवित कर दीजिए।”
रत्नावती के वरदान मांगते ही चोर फिर से जीवित हो जाता है। चोर को जीवित होते देखकर राजा बहुत हैरान हो जाते हैं।
राजा चोर को कहते हैं, “अगर तुम सही रास्ते पर चलने का वचन देते हो, तो मैं तुम्हें राज्य का सेनापति घोषित करने को तैयार हूं।”
चोर खुशी-खुशी हां कर देता है।
Vikram Betaal Story कहानी की शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि
- प्रेम की शक्ति बहुत बड़ी होती है।
- सच्चे प्रेम के आगे हर बाधा हार जाती है।
- अगर हम सच्चाई और मेहनत की राह पर चलते हैं, तो अपने पिछले बुरे कर्मों को भी सुधार सकते हैं।