एक बार की बात है, एक नगर में एक ब्राह्मण रहता था। उसकी एक सुंदर बेटी थी। एक दिन, एक भिक्षु ब्राह्मण के घर आया। भिक्षु ने ब्राह्मण की बेटी से शादी करने की इच्छा जताई। ब्राह्मण की बेटी ने शादी करने से मना कर दिया। भिक्षु ने ब्राह्मण की बेटी को धमकी दी कि अगर उसने शादी नहीं की, तो वह उसे श्राप दे देगा।
ब्राह्मण की बेटी बहुत डरी हुई थी। उसने अपने पिता से कहा कि वह भिक्षु से शादी करने के लिए तैयार है। ब्राह्मण ने अपनी बेटी की शादी भिक्षु से कर दी।
शादी के बाद, भिक्षु ने ब्राह्मण की बेटी को एक जंगल में ले जाकर उसे एक कमरे में बंद कर दिया। भिक्षु ने ब्राह्मण की बेटी से कहा कि वह उसे कभी नहीं छोड़ेगा।
ब्राह्मण की बेटी बहुत दुखी थी। वह जंगल से भागने का कोई रास्ता नहीं ढूंढ पा रही थी। एक दिन, उसने एक राक्षस को देखा। ब्राह्मण की बेटी ने राक्षस से मदद मांगी।
राक्षस ने ब्राह्मण की बेटी की मदद करने का फैसला किया। उसने ब्राह्मण की बेटी को जंगल से बाहर निकाल दिया। ब्राह्मण की बेटी बहुत खुश थी। उसने राक्षस को धन्यवाद दिया।
राक्षस ने ब्राह्मण की बेटी से कहा, “तुम अब किसी और से शादी कर सकती हो। मैं तुम्हारा पति नहीं हूं।”
ब्राह्मण की बेटी ने पूछा, “तो आप कौन हैं?”
राक्षस ने कहा, “मैं तुम्हारी मां का भूत हूं। मैं तुम्हारी मदद करने आया था।”
ब्राह्मण की बेटी ने अपने माता-पिता का आशीर्वाद लिया और एक अच्छे घर में शादी कर ली। वह बहुत खुश थी।
बेताल का प्रश्न
कहानी सुनाकर बेताल ने राजा विक्रमादित्य से पूछा, “राजन, इस कहानी में पति कौन है?”
राजा विक्रमादित्य ने सोच-समझकर कहा, “इस कहानी में कोई पति नहीं है। ब्राह्मण की बेटी की शादी भिक्षु से हुई थी, लेकिन भिक्षु ने उसे कैद कर लिया था। राक्षस ने उसे जंगल से बाहर निकाला था, लेकिन राक्षस ने कहा था कि वह उसका पति नहीं है। इसलिए, इस कहानी में पति कोई नहीं है।”
बेताल ने राजा विक्रमादित्य की प्रशंसा की और कहा, “राजन, तुमने सही उत्तर दिया है। इस कहानी में कोई पति नहीं है।”
कहानी का सार
यह कहानी हमें सिखाती है कि प्रेम और विश्वास ही विवाह के आधार हैं।
कहानी से सीख
चतुराई और बुद्धि से बड़ी से बड़ी समस्या को हल किया जा सकता है।