Vikram Betaal वर्षों पहले की बात है, जब उज्जैन नगर में राजा महासेन राज किया करता था। उसी राज्य में एक ब्राह्मण रहता था, जिसका नाम वासुदेव था। वासुदेव के एक पुत्र था, जिसका नाम मनस्वामी था। मनस्वामी बहुत ही बुद्धिमान और सुंदर था।

एक दिन, राजा महासेन ने एक उत्सव का आयोजन किया। उस उत्सव में मनस्वामी भी गया था। उत्सव में एक सुंदर राजकुमारी भी आई थी। राजकुमारी का नाम शशिप्रभा था। मनस्वामी और शशिप्रभा की पहली नजर में ही एक-दूसरे से प्रेम हो गया।

मनस्वामी ने शशिप्रभा से मिलने के लिए बहुत कोशिश की, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। उसने एक सिद्ध पुरुष से मदद मांगी। सिद्ध पुरुष ने मनस्वामी को एक गोली दी और कहा, “इस गोली को मुंह में रखकर तुम लड़की का रूप धारण कर लोगे। तुम इस रूप में शशिप्रभा से मिल सकते हो।”

मनस्वामी ने सिद्ध पुरुष की बात मानी और गोली मुंह में रख ली। जैसे ही उसने गोली मुंह से निकाली, वह एक सुंदर लड़की बन गया। मनस्वामी ने लड़की के रूप में शशिप्रभा से मिलने का मौका पाया और दोनों प्यार में पड़ गए।

कुछ दिनों बाद, मनस्वामी ने अपने असली रूप को शशिप्रभा को बताया। शशिप्रभा भी मनस्वामी से प्यार करती थी, इसलिए उसने कोई आपत्ति नहीं की।

एक दिन, मनस्वामी और शशिप्रभा एकांत में बात कर रहे थे। तभी, राजा महासेन आ गए। राजा को यह देखकर बहुत गुस्सा आया कि उसकी बेटी एक लड़के से बात कर रही है। राजा ने मनस्वामी को कैद कर लिया और शशिप्रभा को अपने महल में ले गए।

मनस्वामी ने राजा से कहा, “महाराज, मैं शशिप्रभा से प्यार करता हूं। मैं उससे शादी करना चाहता हूं।”

राजा ने कहा, “तुम एक ब्राह्मण हो और मेरी बेटी एक राजकुमारी है। तुम दोनों का विवाह नहीं हो सकता।”

मनस्वामी ने कहा, “मैं किसी भी हालत में शशिप्रभा से शादी करूंगा।”

राजा ने मनस्वामी को मौत की सजा सुनाई। मनस्वामी को फांसी देने के लिए ले जाया जा रहा था। तभी, शशिप्रभा ने राजा से कहा, “महाराज, मैं मनस्वामी से प्यार करती हूं। मैं उससे शादी करना चाहती हूं।”

राजा ने कहा, “तुम एक राजकुमारी हो। तुम किसी भी ब्राह्मण से शादी नहीं कर सकती।”

शशिप्रभा ने कहा, “मैं मनस्वामी से शादी करना चाहती हूं। अगर आप मेरी शादी नहीं करवाएंगे, तो मैं भी आत्महत्या कर लूंगी।”

राजा को शशिप्रभा की बातों से मान जाना पड़ा। उसने मनस्वामी और शशिप्रभा की शादी करवा दी।

मनस्वामी और शशिप्रभा बहुत खुश थे। उन्होंने एक साथ कई साल बिताए और उनकी कई संतानें हुईं।

बेताल का सवाल

बेताल ने विक्रमादित्य से पूछा, “राजन, बताओ कि मनस्वामी और शशिप्रभा में कौन अधिक साहसी था?”

विक्रमादित्य ने कहा, “मनस्वामी और शशिप्रभा दोनों ही साहसी थे। मनस्वामी ने अपने प्रेम के लिए अपनी जान जोखिम में डाली। शशिप्रभा ने अपने प्रेम के लिए अपने पिता की इच्छा का विरोध किया।

मैं मानता हूं कि मनस्वामी अधिक साहसी थे। उन्होंने अपने प्रेम के लिए अपने धर्म और समाज के नियमों को भी तोड़ा। शशिप्रभा ने केवल अपने पिता की इच्छा का विरोध किया, लेकिन उन्होंने अपने धर्म और समाज के नियमों को नहीं तोड़ा।

इसलिए, मैं मानता हूं कि मनस्वामी अधिक साहसी थे।”

बेताल ने विक्रमादित्य का जवाब सुनकर कहा, “तुमने सही कहा। मनस्वामी अधिक साहसी थे।”

बेताल ने विक्रमादित्य को छोड़ दिया और पेड़ पर लटक गया।

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